img

Up Kiran, Digital Desk: भारत में टैक्सेशन सिस्टम को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए GST यानी Goods and Services Tax को लागू किया गया था। लेकिन क्या यह सिस्टम वाकई में उतना प्रभावी है जितना पहले सोचा गया था? इसी सवाल का जवाब हमें जीएसटी में समय-समय पर किए गए सुधारों से मिलता है। आइए जानते हैं कि ये GST reforms क्या हैं और आम जनता व व्यापारियों पर इनका क्या असर पड़ा है।

जीएसटी सुधारों की ज़रूरत क्यों पड़ी?

शुरुआत में जीएसटी को "वन नेशन, वन टैक्स" के रूप में पेश किया गया था। लेकिन इसके क्रियान्वयन के बाद कई तकनीकी और प्रक्रियात्मक चुनौतियाँ सामने आईं। छोटे व्यापारियों को रिटर्न फाइलिंग में दिक्कतें हुईं, जबकि कर दरों को लेकर भी असमंजस बना रहा। इन समस्याओं को हल करने के लिए ही जीएसटी काउंसिल ने समय के साथ कई अहम सुधार किए।

टेक्नोलॉजी में सुधार: ई-इनवॉइसिंग और पोर्टल अपग्रेड (Gst reforms)

जीएसटी रिटर्न फाइलिंग को आसान बनाने के लिए सरकार ने ई-इनवॉइसिंग को अनिवार्य किया। इससे फर्जी बिलिंग पर रोक लगी और इनपुट टैक्स क्रेडिट का सिस्टम मजबूत हुआ। साथ ही, GSTN पोर्टल को भी अपग्रेड किया गया, जिससे तकनीकी गड़बड़ियों में काफी हद तक कमी आई है।

कर दरों में बदलाव से क्या मिला फायदा?

जीएसटी काउंसिल ने कई बार कर दरों की समीक्षा की। जरूरी वस्तुओं पर कर दर घटाई गई, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिली। वहीं, लक्ज़री और गुटखा जैसी वस्तुओं पर कर दरें बढ़ाकर सरकार ने राजस्व बढ़ाया। ये बदलाव न सिर्फ आर्थिक रूप से फायदेमंद रहे, बल्कि टैक्स सिस्टम को और संतुलित बनाया।

--Advertisement--