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जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले के देवसर क्षेत्र में हाल ही में हुई मुठभेड़ ने एक बार फिर आम नागरिकों के बीच सुरक्षा और स्थिरता को लेकर चर्चा को तेज़ कर दिया है। शुक्रवार शाम से शुरू हुआ यह अभियान स्थानीय निवासियों के लिए तनाव और अनिश्चितता की रात लेकर आया, जो शनिवार तक जारी रहा।

स्थानीय जनजीवन पर असर
जैसे ही सुरक्षाबलों को अकाल के घने जंगलों में संदिग्ध आतंकवादियों की मौजूदगी की जानकारी मिली, पूरा इलाका छावनी में तब्दील हो गया। ग्रामीणों को घरों में ही रहने की हिदायत दी गई, स्कूल और दुकानें बंद रहीं, और मोबाइल नेटवर्क भी प्रभावित रहा। लगातार गोलियों की आवाज़ और गश्त कर रहे जवानों की मौजूदगी ने लोगों की दिनचर्या को बुरी तरह बाधित किया।

जवानों का संयम और रणनीति
यह ऑपरेशन महज एक मुठभेड़ नहीं था—बल्कि रणनीतिक धैर्य और संतुलित कार्रवाई का उदाहरण बना। सुरक्षा बलों ने बिना किसी आम नागरिक को नुकसान पहुँचाए, अंधेरे और चुनौतीपूर्ण इलाकों में अपना अभियान जारी रखा। बताया गया है कि इस कार्रवाई में पुलवामा के राजपुरा निवासी एक आतंकी हारिस नज़ीर मारा गया, जो कथित रूप से लश्कर-ए-तैयबा संगठन से जुड़ा था। वह वर्ष 2023 से सक्रिय था और सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी में था।

रात भर चली गोलीबारी और अस्थायी ठहराव
अभियान के दौरान शुक्रवार रात से लेकर शनिवार सुबह तक रुक-रुक कर गोलीबारी होती रही। सुबह करीब 4 बजे एक बार फिर तेज़ गोलाबारी की खबर सामने आई, जिसके बाद हालात थोड़ी देर के लिए शांत हुए। मौसम और जंगल की भौगोलिक जटिलताओं को देखते हुए रात में अभियान को कुछ समय के लिए रोका गया, लेकिन सुरक्षा बलों ने घेरा बनाए रखा।

अब भी छिपे हो सकते हैं आतंकी
अधिकारियों को आशंका है कि 2 से 3 विदेशी आतंकी अब भी उस इलाके में छिपे हो सकते हैं। इसलिए तलाशी और घेराबंदी का काम अब भी जारी है। ‘ऑपरेशन अखल’ नाम से चल रहे इस अभियान के जरिए सुरक्षाबल स्थानीय आतंकवादी नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने का प्रयास कर रहे हैं।

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