img

Up Kiran, Digital Desk: दिल्ली के लाल किले के पास हुए बम धमाके के पीछे छिपी बड़ी साजिश सामने आई है। जाँच एजेंसियों के मुताबिक, इस हादसे में कुल 13 लोगों की मौत हुई और इस घटना के पीछे एक संगठित आतंकवादी नेटवर्क था। शुरुआती जानकारी में पता चला है कि यह समूह देश के चार अलग-अलग शहरों में सिलसिलेवार विस्फोट करने की योजना बना रहा था।

जाँचकर्ताओं के अनुसार, संदिग्धों ने अपने आप को चार अलग-अलग समूहों में बाँटा था। हर समूह में दो सदस्य थे, जिन्हें इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) लेकर अपने-अपने लक्षित शहरों में भेजा जाना था। योजना यह थी कि दिल्ली, अयोध्या और प्रयागराज समेत अन्य शहरों में एक साथ विस्फोट किए जाएँ, जिससे अधिकतम जनहानि और अराजकता फैले।

सुरक्षा एजेंसियों को जानकारी मिली कि आरोपियों ने पुराने और सेकेंड हैंड वाहनों का इस्तेमाल विस्फोटकों को ले जाने और छिपाने के लिए किया। इसमें डॉ. उमर द्वारा इस्तेमाल की गई i20 कार और एक लाल रंग की इकोस्पोर्ट शामिल थीं।

हरियाणा पुलिस के सूत्रों का कहना है कि आरोपी अपने आप को डॉक्टर बताकर बड़े पैमाने पर आतंकी ऑपरेशन में जुटे थे। हालांकि, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने समय रहते डॉ. मुज़म्मिल समेत कई संदिग्धों को गिरफ्तार कर इस राष्ट्रीय स्तर की साजिश को विफल कर दिया।

जाँच में यह भी पता चला कि आरोपियों ने आईईडी बनाने के लिए भारी मात्रा में उर्वरक खरीदा था। लगभग 20 लाख रुपये नकद इकट्ठा किए गए और इसका इस्तेमाल लगभग 20 क्विंटल एनपीके उर्वरक खरीदने में हुआ। इसके अलावा, उमर ने एक सुरक्षित सिग्नल ग्रुप बनाया था, जिसमें दो से चार लोग शामिल थे, ताकि सभी गतिविधियाँ सुरक्षित ढंग से समन्वित की जा सकें।