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Up Kiran, Digital Desk: उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था में एक ऐतिहासिक बदलाव की पटकथा लिख दी है। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) गुरमीत सिंह ने उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक, 2025 को अपनी मंजूरी दे दी है। इस कानून के लागू होते ही, राज्य का मदरसा बोर्ड भंग हो जाएगा और सभी मदरसों समेत अल्पसंख्यक संस्थानों को मुख्यधारा की शिक्षा प्रणाली से जोड़ा जाएगा।
यह फैसला जुलाई 2026 से शुरू होने वाले शैक्षणिक सत्र से प्रभावी होगा।
क्या बदलेगा और क्यों: इस नए कानून के तहत, अब सिर्फ मदरसे ही नहीं, बल्कि सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी समुदायों द्वारा चलाए जा रहे शिक्षण संस्थानों को भी अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा मिल सकेगा।अब तक यह दर्जा सिर्फ मुस्लिम संस्थानों को ही मिलता था।
एक समान शिक्षा: अब सभी अल्पसंख्यक संस्थानों को उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा बोर्ड से मान्यता लेनी होगी। उन्हें राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCF) और नई शिक्षा नीति (NEP-2020) के दिशानिर्देशों का पालन करना होगा। इसका मतलब है कि इन संस्थानों के छात्रों को भी वही सिलेबस पढ़ना होगा जो राज्य के दूसरे स्कूलों में पढ़ाया जाता है।
पारदर्शिता और जवाबदेही: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुसार, यह कानून शिक्षा व्यवस्था को ज्यादा पारदर्शी और जवाबदेह बनाएगा। उन्होंने कहा कि पहले मदरसा शिक्षा प्रणाली में केंद्रीय छात्रवृत्ति के वितरण और मिड-डे मील जैसी योजनाओं में अनियमितताएं देखने को मिलती थीं।
उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण का गठन: यह कानून एक नए प्राधिकरण का गठन करेगा जो अल्पसंख्यक संस्थानों को मान्यता देने और उनके कामकाज की निगरानी का काम करेगा।अगर कोई संस्थान वित्तीय गड़बड़ी या सामाजिक सद्भाव के खिलाफ गतिविधियों में शामिल पाया जाता है, तो उसकी मान्यता रद्द भी की जा सकती है।
सरकार का मकसद और भविष्य की राह
सरकार का कहना है कि इस फैसले का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य के हर बच्चे को, चाहे वह किसी भी समुदाय का हो, समान शिक्षा और आगे बढ़ने के समान अवसर मिलें। इस कदम से अल्पसंख्यक संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधरेगी और छात्र मुख्यधारा से जुड़कर बेहतर भविष्य बना सकेंगे।
यह कानून उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2016 और गैर-सरकारी अरबी और फारसी मदरसा मान्यता नियम, 2019 को 1 जुलाई, 2026 से खत्म कर देगा। यह फैसला उत्तराखंड को मदरसा बोर्ड को औपचारिक रूप से खत्म करने वाला भारत का पहला राज्य बनाता है।