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Up Kiran, Digital Desk: दक्षिण कोरिया की राजनीति में एक भूचाल आ गया है। राष्ट्रपति यूं सुक येओल की सरकार ने एक ऐसे बड़े सरकारी बदलाव को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत देश की सबसे ताकतवर और स्वतंत्र भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी को ही खत्म कर दिया जाएगा। यह वही एजेंसी है जिसे बड़े-बड़े सरकारी अधिकारियों, मंत्रियों और जजों के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच करने का जिम्मा सौंपा गया था।

सरकार के इस फैसले ने पूरे देश में एक तीखी राजनीतिक बहस छेड़ दी है। विपक्ष ने इसे "लोकतंत्र की हत्या" करार दिया है और आरोप लगाया है कि सरकार अपने लोगों को बचाने के लिए जांच एजेंसी को ही खत्म कर रही है।

क्यों खत्म की जा रही है यह एजेंसी?

जिस एजेंसी को खत्म करने का फैसला किया गया है, उसका नाम 'उच्च पदस्थ अधिकारियों के लिए भ्रष्टाचार जांच कार्यालय' (CIO) है। राष्ट्रपति यूं सुक येओल की सरकार का तर्क है कि यह एजेंसी "अक्षम" है और "राजनीतिक रूप से पक्षपाती" होकर काम कर रही है। उनका कहना है कि इसके गठन का उद्देश्य पूरा नहीं हो पाया है, इसलिए इसे खत्म कर देना ही बेहतर है।

दिलचस्प बात यह है कि राष्ट्रपति यूं सुक येओल खुद राष्ट्रपति बनने से पहले देश के शीर्ष प्रॉसीक्यूटर (सरकारी वकील) रह चुके हैं और उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त अभियान चलाकर ही लोकप्रियता हासिल की थी।

विपक्ष का आरोप: "यह लोकतंत्र की हत्या है!"

विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी ने सरकार के इस कदम को तानाशाही बताया है। विपक्ष का आरोप है कि यूं सुक येओल की सरकार इस एजेंसी को इसलिए खत्म कर रही है क्योंकि यह राष्ट्रपति के करीबी सहयोगियों और सरकार के बड़े अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच कर रही थी। विपक्ष का कहना है कि यह कदम न्याय व्यवस्था को कमजोर करने और अपने लोगों को बचाने की एक सीधी साजिश है।

सिर्फ एजेंसी खत्म नहीं, बन रहे हैं नए मंत्रालय भी

हालांकि इस बिल का सबसे विवादित हिस्सा CIO को खत्म करना है, लेकिन इसमें सरकार के पुनर्गठन की कुछ और योजनाएं भी शामिल हैं। इसके तहत:

सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और अन्य तकनीकी उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए एक नया "रणनीतिक उद्योग मंत्रालय" बनाया जाएगा।

देश की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक, घटती जन्म दर से निपटने के लिए एक "निम्न जन्म दर प्रतिक्रिया मंत्रालय" का भी गठन किया जाएगा।

आगे क्या होगा: कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद अब इस बिल को देश की संसद (नेशनल असेंबली) में पेश किया जाएगा। लेकिन यहां सरकार की राह आसान नहीं है, क्योंकि संसद में विपक्षी दलों का बहुमत है। ऐसे में इस बिल को पास कराने के लिए सरकार को एक बड़ी राजनीतिक लड़ाई लड़नी होगी, जिससे आने वाले दिनों में दक्षिण कोरिया की राजनीति में और गरमाहट देखने को मिल सकती है