Up Kiran, Digital Desk: पाकिस्तान में इन दिनों कुछ ऐसा खेल चल रहा है कि फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की कुर्सी हिलती नज़र आ रही है। 27वें संविधान संशोधन के बाद सबको लग रहा था कि 29 नवंबर को आसिम मुनीर देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDF) बन जाएंगे। नोटिफिकेशन बस जारी होना था। मगर ठीक उसी दिन प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पहले UAE निकल लिए। फिर सीधा लंदन।
लंदन से लौटे तो इस्लामाबाद आने की बजाय लाहौर उतर गए। पांच दिन बीत गए। आज भी वो कागज नहीं निकला जिस पर आसिम मुनीर की किस्मत लिखी है।
पूरा पाकिस्तान अब जनरल साहब का मजाक उड़ा रहा है। सोशल मीडिया पर मीम्स की बाढ़ आई हुई है। कोई लिख रहा है “रिटायर्ड जनरल आसिम मुनीर” तो कोई बोल रहा है “नकली आर्मी चीफ”। एक शख्स ने तो साफ लिख दिया कि मैं तो इन्हें रिटायर्ड ही मानता हूँ। लोग हंस हंस कर लोटपोट हो रहे हैं।
बात यहीं नहीं रुकती। खबर ये है कि इस पूरे ड्रामे के पीछे असली मास्टरमाइंड लंदन में बैठे नवाज शरीफ हैं। सूत्र बता रहे हैं कि नवाज साहब आसिम मुनीर को CDF की कुर्सी देना तो चाहते हैं मगर कुछ भारी शर्तों के साथ।
सबसे बड़ी शर्त – रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम को दोबारा ISI का DG बनाओ। नदीम अंजुम 2024 तक इसी कुर्सी पर रहे थे। नवाज का तर्क भी तैयार है। वो कहते हैं कि 1989 में बेनजीर भुट्टो ने रिटायरमेंट के बाद शम्सुर्रहमान कल्लू को DG ISI बनाया था। तो इसमें नया क्या है?
दूसरी शर्त और भी खतरनाक है। नवाज शरीफ अपने मनपसंद दो फोर-स्टार जनरलों को ऊंचे ओहदों पर बैठाना चाहते हैं। मतलब आने वाले दिनों में नया आर्मी चीफ और न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी का बॉस भी उनका पसंदीदा होना चाहिए।
इसी सिलसिले में पाकिस्तानी वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर सिद्दकी ने लंदन में नवाज शरीफ से गुपचुप मुलाकात की। जानकार मान रहे हैं कि ये मीटिंग सिर्फ आसिम मुनीर पर दबाव बनाने के लिए थी।
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