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Up Kiran, Digital Desk: ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली ख़ामेनेई ने अमेरिका के साथ परमाणु वार्ता की संभावनाओं को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि अमेरिका लगातार अपने वादों से मुकरता रहा है और भरोसेमंद नहीं है। इस स्थिति का असर सिर्फ दो देशों तक सीमित नहीं है बल्कि इससे विश्व स्तर पर सुरक्षा और स्थिरता पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

जनता और वैश्विक स्थिरता पर प्रभाव

ख़ामेनेई ने अपने हालिया टेलीविजन संबोधन में अमेरिका पर आरोप लगाए कि वह न केवल अपने वादे तोड़ता है बल्कि धमकी देने, हिंसा फैलाने और परमाणु स्थलों पर हमले करने से भी नहीं चूकता। इस परिप्रेक्ष्य में यह साफ हो जाता है कि ईरान की जनता के लिए इस टकराव का मतलब निरंतर तनाव और अस्थिरता है, जो आर्थिक और सामाजिक जीवन पर दबाव बढ़ा सकता है। इसके अलावा, यह वैश्विक समुदाय के लिए भी चिंता का विषय है क्योंकि क्षेत्रीय संघर्ष का खतरा बढ़ सकता है।

तेहरान का अमेरिका के साथ सीधा संवाद करने से इंकार

हाल के दिनों में तेहरान ने दोहराया कि वह सीधे वाशिंगटन के साथ परमाणु मुद्दे पर बातचीत करने को तैयार नहीं है। जबकि ईरानी राजनयिक संयुक्त राष्ट्र महासभा के बाहर यूरोपीय देशों के प्रतिनिधियों से बातचीत कर रहे हैं, खामेनेई की बातों से स्पष्ट होता है कि अमेरिका के प्रति ईरान का रवैया अब भी कठोर है। विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने यूरोपीय राजनयिकों से मुलाकात की और चर्चा का केंद्र आने वाले दिनों में लागू होने वाले प्रतिबंध रहे।

अमेरिका और यूरोप की कड़ी रुख

इस विवाद में अमेरिका और यूरोपीय देशों ने ईरान पर 2015 के परमाणु समझौते (जेसीपीओए) का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। वे ईरान द्वारा 40 गुना अधिक संवर्धित यूरेनियम स्टॉक करने को गंभीर समस्या मानते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पहले कहा था कि ईरान कभी भी परमाणु हथियार नहीं बनाएगा और उसे आतंकवाद का प्रमुख समर्थक बताया। इन बयानों के जवाब में खामेनेई ने अमेरिका पर वार्ता को केवल एक आदेश थोपने का आरोप लगाया।

जेसीपीओए समझौते पर दबाव और गतिरोध

2018 में ट्रम्प प्रशासन ने जेसीपीओए से बाहर निकलकर ‘अधिकतम दबाव’ नीति शुरू की थी। इसके तहत प्रतिबंधों को फिर से लागू किया गया। इसके बाद भी यह नीति बाइडेन प्रशासन में जारी रही। यूरोपीय देश यह संकेत देते रहे हैं कि अगर ईरान अमेरिका से सीधे बातचीत करने को तैयार हो जाए, संयुक्त राष्ट्र के निरीक्षकों को परमाणु स्थलों का निरीक्षण करने दे, और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी को संवर्धित यूरेनियम की जानकारी प्रदान करे, तो वे प्रतिबंधों को बढ़ाने पर विचार कर सकते हैं। हालांकि, हाल की बैठक में कोई खास सफलता नहीं मिली और जर्मन विदेश मंत्री ने कहा कि वार्ता बहुत अच्छी नहीं रही।