
Up Kiran, Digital Desk: सावन का पवित्र महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दौरान आने वाली सावन शिवरात्रि का विशेष महत्व है। यह दिन भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन भक्त शिवलिंग पर जल, दूध और अन्य प्रिय वस्तुएं अर्पित करते हैं, जिनमें बेलपत्र का विशेष स्थान है। बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और मान्यता है कि इसे विधि-विधान से चढ़ाने पर महादेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
आइए जानते हैं सावन शिवरात्रि 2025 पर शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने की सही विधि, महत्वपूर्ण नियम और मंत्र:
बेलपत्र का महत्व: शिव को क्यों है इतना प्रिय?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, बेलपत्र भगवान शिव को बहुत प्रिय है। इसकी तीन पत्तियां ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक मानी जाती हैं, और यह भगवान शिव के त्रिनेत्र का भी प्रतिनिधित्व करती हैं। बेलपत्र में शीतलता प्रदान करने वाले गुण भी होते हैं, जो शिव के उग्र रूप को शांत करने में मदद करते हैं। इसे अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों के जीवन से दुख, दरिद्रता और बाधाएं दूर होती हैं।
सही विधि से चढ़ाएं बेलपत्र: इन बातों का रखें ध्यान
बेलपत्र की संख्या: सामान्यतः तीन जुड़ी हुई पत्तियों वाला बेलपत्र चढ़ाया जाता है। आप अपनी श्रद्धा अनुसार 5, 7, 9, 11, 21 या 108 बेलपत्र भी चढ़ा सकते हैं।
चिकनी तरफ से चढ़ाएं: बेलपत्र को हमेशा चिकनी तरफ से शिवलिंग पर चढ़ाएं। यानी बेलपत्र की उल्टी तरफ (जो खुरदुरी होती है) शिवलिंग को स्पर्श नहीं करनी चाहिए।
साफ-सफाई: बेलपत्र चढ़ाने से पहले उसे पानी से अच्छी तरह धो लें। यह सुनिश्चित करें कि बेलपत्र खंडित या कटा-फटा न हो।
मंत्र जाप: बेलपत्र चढ़ाते समय भगवान शिव के प्रिय मंत्र "ओम नमः शिवाय" का जाप करते रहें। यदि आप महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर सकें, तो यह अत्यंत शुभ फलदायी होता है:
"ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥"
बेलपत्र चढ़ाने के नियम: इन गलतियों से बचें
इन दिनों न तोड़ें: चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रांति और सोमवार के दिन बेलपत्र नहीं तोड़ने चाहिए। यदि आपको इन दिनों बेलपत्र की ज़रूरत हो, तो एक दिन पहले तोड़कर रख लें।
सूर्यास्त के बाद नहीं: सूर्यास्त के बाद बेलपत्र न तोड़ें।
कटे-फटे बेलपत्र: कटे-फटे या खंडित बेलपत्र का उपयोग न करें। यदि बेलपत्र प्राकृतिक रूप से थोड़ा टूटा हो, तो उसे धोकर इस्तेमाल किया जा सकता है।
पुराने बेलपत्र का प्रयोग: यदि नए बेलपत्र उपलब्ध न हों, तो आप पुराने बेलपत्र को धोकर फिर से उपयोग कर सकते हैं। माना जाता है कि बेलपत्र कभी बासी नहीं होता।
पहले जल: बेलपत्र चढ़ाने से पहले शिवलिंग पर जल अवश्य अर्पित करें। जल के बाद ही बेलपत्र चढ़ाएं।
डंडी की दिशा: बेलपत्र की डंडी को अपनी तरफ करके न चढ़ाएं, बल्कि डंडी शिवलिंग की जलहरी की तरफ होनी चाहिए।
बेलपत्र चढ़ाने के लाभ: विधि-विधान से बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। इससे भक्तों को मानसिक शांति मिलती है, धन-धान्य की वृद्धि होती है और सभी प्रकार के रोग-दोषों से मुक्ति मिलती है। सावन शिवरात्रि पर बेलपत्र चढ़ाने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है।
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