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Up Kiran, Digital Desk: कुछ साल पहले तक, जब हम किसी गैजेट की बात करते थे, तो दिमाग़ में अक्सर विदेशी कंपनियाँ और विदेशी फैक्ट्रियाँ आती थीं। लेकिन अब ये सोच बदल रही है और इसके पीछे है प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी योजना – 'मेक इन इंडिया'। हाल ही में, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कुछ ऐसे आंकड़े पेश किए हैं, जिन्हें सुनकर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा। इन आंकड़ों ने साफ़ कर दिया है कि इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में भारत अब किसी से पीछे नहीं है।

क्या कहती हैं ये विकास की 'तेज़ रफ़्तार' कहानियाँ?

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया है कि जब से 'मेक इन इंडिया' शुरू हुआ है, तब से देश के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन और निर्यात ने उम्मीद से कहीं ज़्यादा बेहतर प्रदर्शन किया है:

उत्पादन में 6 गुना इज़ाफ़ा: आज से कुछ साल पहले के मुक़ाबले भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स चीज़ों का उत्पादन अब 6 गुना ज़्यादा हो रहा है। मोबाइल फ़ोन से लेकर दूसरे इलेक्ट्रॉनिक सामान तक, सब कुछ अब देश में ही ज़्यादा बनने लगा है। यह दर्शाता है कि हमारे इंजीनियर, कामगार और फ़ैक्ट्रियाँ कितनी तेज़ी से आगे बढ़ रही हैं।

निर्यात में 8 गुना उछाल: यह बात तो और भी चौंकाने वाली है कि भारत से इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों का निर्यात अब 8 गुना ज़्यादा हो गया है। यानी, हम सिर्फ़ अपने लिए ही नहीं बना रहे, बल्कि पूरी दुनिया को अपना सामान बेच रहे हैं। 'मेक इन इंडिया' अब 'मेक फॉर वर्ल्ड' बन रहा है।

इस कामयाबी के क्या मायने हैं?

यह सिर्फ़ आंकड़ों का खेल नहीं है, इसके बड़े और दूरगामी परिणाम हैं:

करोड़ों नई नौकरियाँ: जब उत्पादन और निर्यात बढ़ता है, तो नई फ़ैक्ट्रियाँ खुलती हैं और लोगों को बड़े पैमाने पर रोज़गार मिलता है। यह युवाओं के लिए उम्मीद की एक नई किरण है।

आत्मनिर्भरता: अब हम इलेक्ट्रॉनिक सामान के लिए दूसरे देशों पर कम निर्भर रहेंगे। इससे देश का पैसा बचेगा और हमारी सुरक्षा भी बढ़ेगी।

ग्लोबल पावर में शामिल: भारत अब दुनिया की ग्लोबल सप्लाई चेन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन रहा है। बड़ी-बड़ी कंपनियाँ भारत में आकर निवेश कर रही हैं और अपनी फ़ैक्ट्रियाँ लगा रही हैं।

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