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Up Kiran, Digital Desk: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 नवंबर को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर का दौरा करेंगे, जो भारतीय समाज, संस्कृति और आध्यात्मिकता के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। यह ऐतिहासिक यात्रा मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हो रही है, जो न सिर्फ भगवान राम और देवी सीता के विवाह पंचमी के अभिजीत मुहूर्त से मेल खाती है, बल्कि सिख इतिहास से भी जुड़ी हुई है। इस दिन को 9वें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, जिन्होंने 17वीं शताब्दी में अयोध्या में 48 घंटे तक ध्यान किया था। इस दिन का आध्यात्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है।

प्रधानमंत्री मोदी के राम जन्मभूमि मंदिर में दर्शन: एक सांस्कृतिक और धार्मिक उत्सव

प्रधानमंत्री मोदी सुबह करीब 10 बजे सप्तमंदिर का दौरा करेंगे, जिसमें महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, महर्षि वाल्मिकी, देवी अहिल्या, निषादराज गुहा और माता शबरी के समर्पित मंदिर शामिल हैं। इसके बाद वे शेषावतार मंदिर और माता अन्नपूर्णा मंदिर के दर्शन करेंगे, जो अयोध्या की धार्मिक विविधता को दर्शाते हैं। विशेष रूप से, प्रधानमंत्री मोदी राम दरबार और राम लला गर्भ गृह में पूजा अर्चना करेंगे, जो इस ऐतिहासिक स्थल की धार्मिक महत्ता को और बढ़ाते हैं।

भगवा ध्वज का ऐतिहासिक फहराना: एक नया अध्याय शुरू होगा

दोपहर करीब 12 बजे प्रधानमंत्री मोदी श्री राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर 10 फुट गुणा 20 फुट का भगवा ध्वज औपचारिक रूप से फहराएंगे। यह ध्वज मंदिर निर्माण के पूर्ण होने का प्रतीक है और भारतीय संस्कृति, राष्ट्रीय एकता एवं गौरव की नई शुरुआत का संकेत है। इस ध्वज पर भगवान श्री राम के तेज और पराक्रम का प्रतीक एक दीप्तिमान सूर्य, पवित्र कोविदरा वृक्ष और 'ॐ' चिह्न अंकित हैं, जो राम राज्य के आदर्शों और भारत की एकता का प्रतीक है। यह एक ऐतिहासिक क्षण होगा, जो हमेशा के लिए भारतीय लोगों के दिलों में बस जाएगा।

राम मंदिर की स्थापत्य कला: भारतीय संस्कृति का संगम

राम जन्मभूमि मंदिर की स्थापत्य कला अद्वितीय है। मंदिर का शिखर पारंपरिक उत्तर भारतीय नागर शैली में निर्मित है, जबकि परिसर का 800 मीटर का परिक्रमा परकोटा दक्षिण भारतीय स्थापत्य कला के तत्वों को प्रदर्शित करता है। यह भारतीय मंदिर परंपराओं का शानदार मिश्रण है। मंदिर की दीवारों पर वाल्मीकि रामायण के 87 जटिल नक्काशीदार पत्थर के प्रसंग और भारतीय संस्कृति से जुड़े 79 कांस्य-ढाल वाले प्रसंग हैं, जो आगंतुकों को गहरे सांस्कृतिक और शैक्षिक अनुभव प्रदान करते हैं।

भक्ति, विरासत और एकता का जश्न: मोदी का संबोधन

भगवा ध्वज का औपचारिक रूप से फहराया जाना, न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय भक्ति और विरासत का भी उत्सव है। प्रधानमंत्री मोदी सभा को संबोधित करेंगे, जिसमें वे राम राज्य के आदर्शों, राष्ट्रीय एकता और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर पर जोर देंगे। यह पल भारतीय इतिहास का अभिन्न हिस्सा बनेगा, और प्रधानमंत्री के भाषण में देश के समक्ष आने वाली चुनौतियों और अवसरों का भी जिक्र होगा।