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Up Kiran, Digital Desk: बेतिया के ऑडिटोरियम में मंगलवार को अल्पसंख्यक समाज से जुड़ी सभा को संबोधित करते हुए जन सुराज अभियान के संस्थापक प्रशांत किशोर ने कहा कि उनकी लड़ाई केवल बिहार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश की दिशा बदलने का प्रयास है। उन्होंने दावा किया कि देश की लगभग आधी हिंदू आबादी भाजपा के साथ नहीं है और अगर उनमें से पांचवां हिस्सा भी जन सुराज के समर्थन में आ जाए तो मुकाबले का परिणाम पहले से तय माना जा सकता है।

किशोर ने कहा कि गांधी, बाबासाहेब अंबेडकर, लोहिया और समाजवादी वामपंथी विचारधारा को अपनाने वाले लोग आजादी की लड़ाई में अग्रणी रहे, जबकि भाजपा की सोच उस संघर्ष का हिस्सा नहीं रही। उनका कहना था कि उन्होंने 2014 में भाजपा की सरकार बनाने में योगदान जरूर दिया, लेकिन बाद में बिहार में राजनीतिक संतुलन बदलने की कोशिश की और भाजपा को सीमित कर दिया।

सभा में मौजूद लोगों से उन्होंने अपील की कि आंदोलन का साथ केवल अपनी सीटों की संख्या के लिए न दिया जाए, बल्कि राज्य के बदलाव के लिए आगे बढ़ाया जाए।

सरकार पर सीधा निशाना

पटना में मंत्री की गाड़ी पर हुए पथराव से जुड़े सवाल पर प्रशांत किशोर ने कहा, "पिछले कुछ सालों में आम लोगों पर सत्ता ने डंडे बरसाए हैं। अब जनता की नाराजगी सड़कों पर दिख रही है।"

रोजगार और पलायन पर बड़ा बयान

सभा के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि जो सरकार दो दशक तक सत्ता में रही, वह चुनाव से ठीक पहले नीतियों का ऐलान कर रही है। इसका सीधा मतलब यही है कि अब तक जमीन पर काम नहीं हुआ। किशोर ने दावा किया कि जन सुराज के दबाव का असर यह है कि पेंशन और मानदेय में सुधार देखने को मिला है। उन्होंने भरोसा जताया कि अगर उनकी कार्ययोजना लागू हुई तो आने वाले समय में छठ के बाद कोई भी युवा कुछ हज़ार रुपए की नौकरी के लिए प्रदेश से बाहर जाने को मजबूर नहीं होगा।

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