mughal era: भारत का मुगल काल 16वीं से 18वीं शताब्दी तक फैला। न केवल साम्राज्य की राजनीतिक शक्ति का प्रतीक था, बल्कि ये व्यापार, संस्कृति और कला के क्षेत्र में भी एक अलग पहचान बनाई। उस वक्त समय में न केवल महाराजाओं की समृद्धि बढ़ी, बल्कि व्यापारियों ने भी अपनी अद्वितीय संपत्ति और प्रभाव के बल पर इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज कराया। इस खबर में हम अकबर के शासन काल के दो प्रमुख व्यापारियों विरजी वोरा और मुल्ला अब्दुल गफूर के बारे में जानेंगे।
सूरत का अमीर व्यापारी
अकबर का शासनकाल (1556-1605) व्यापार के लिए स्वर्णिम युग था, और इसी काल में सूरत में जन्मे विरजी वोरा का नाम सबसे अमीर व्यापारियों में लिया जाता है।
विरजी वोरा मुख्य रूप से होलसेल ट्रेडिंग और लोन देने के व्यवसाय में सक्रिय थे। उन्होंने मसालों, सर्राफा, मूंगा, हाथी दांत और सीसा जैसे विभिन्न उत्पादों का व्यापार किया। उनकी व्यापारिक दृष्टि ने उन्हें उस समय के सबसे प्रभावशाली व्यापारियों में से एक बना दिया। विरजी वोरा की आर्थिक शक्ति इतनी प्रबल थी कि मुगल साम्राज्य भी उनसे कर्ज लेता था। यह उनके प्रभाव का एक बड़ा प्रमाण है, जो बताता है कि वे केवल एक व्यापारी नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण आर्थिक स्तंभ थे।
दूसरे थे मुल्ला जी
मुगल काल में सूरत के एक और प्रमुख व्यापारी थे मुल्ला अब्दुल गफूर। उनकी संपत्ति और व्यापारिक कौशल के चर्चे दूर-दूर तक फैले हुए थे। मुल्ला अब्दुल गफूर जहाज निर्माण और समुद्री व्यापार के बड़े कारोबारी थे। उन्होंने मसालों और अन्य बहुमूल्य वस्तुओं के व्यापार में भी ख्याति पाई।
मुल्ला अब्दुल गफूर को अपने समय में विरजी वोरा के बराबर माना जाता था। दोनों ही सूरत में बसे हुए थे।