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Iran Loyalist: इजरायल द्वारा 27 सितंबर को बेरूत में हिज्बुल्लाह के गढ़ पर की गई टारगेटेड एयरस्ट्राइक ने एक नई राजनीतिक स्थिति को जन्म दिया है। इस हमले में हिज्बुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह और संगठन के कई टॉप कमांडर मारे गए, जिससे इस्लामिक वर्ल्ड में निराशा देखने को मिल रही हैं।

हसन नसरल्लाह की मौत पर एक ओर मातम मनाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर सीरिया के सुन्नी मुसलमानों में जश्न का माहौल है। नसरल्लाह को अरब वर्ल्ड में एक नायक के रूप में देखा जाता है, विशेषकर 2000 में इजरायली सेना को दक्षिण लेबनान से खदेड़ने और 2006 के युद्ध में उनकी प्रतिरोध की वजह से। हालांकि, नसरल्लाह की छवि शिया समर्थक नेता की भी बन गई है, जो उसे कई अरब मुल्कों में एक विवादास्पद व्यक्ति बनाती है।

नसरल्लाह ने ईरान की शह पर कई लड़ाईय़ों में हिस्सा लिया है, जो शिया और सुन्नी समुदायों के बीच विभाजन को और बढ़ाते हैं। ईरान, एक शिया बाहुल्य देश, उसने हमेशा सुन्नी देशों के खिलाफ अपने प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश की है। ऐसे में नसरल्लाह और हिज्बुल्लाह की गतिविधियाँ इस विभाजन को और गहरा करती हैं।

सीरिया एक सुन्नी मुस्लिम बाहुल्य देश है, जहां शिया मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं. वहां मार्च 2011 में इसी आधार पर गृह युद्ध शुरू हुआ। गृह युद्ध इस दौरान हिज्बुल्लाह ने सरकार विरोध करने वाले लोगों को मार डाला गया। तभी से सुन्नी मुस्लिम नसरुल्लाह से नफरत करने लगे। 

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