
Up Kiran, Digital Desk: भारतीय राजनीति में, उपराष्ट्रपति का पद एक अत्यंत महत्वपूर्ण संवैधानिक जिम्मेदारी है। जैसे-जैसे उपराष्ट्रपति चुनाव की तारीखें नज़दीक आ रही हैं, विभिन्न राजनीतिक दलों में संभावित उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा तेज हो गई है। इस दौड़ में, एनडीए (NDA) की ओर से तमिलनाडु के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन का नाम सबसे प्रबल दावेदारों में से एक माना जा रहा है। यह उनके लिए तीसरा मौका हो सकता है, जब वे उपराष्ट्रपति पद के लिए विचार किए जा सकते हैं, जो उन्हें 'तीसरी बार लकी' बना सकता है।
कौन हैं सी.पी. राधाकृष्णन?
सी. पी. राधाकृष्णन एक वरिष्ठ भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेता हैं, जिनका राजनीतिक अनुभव दशकों पुराना है। वे केरल से आते हैं और उन्होंने भारतीय राजनीति में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाई हैं। वे दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जैसे पदों पर भी कार्य कर चुके हैं। 2017 में, उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था, और बाद में 2021 में तमिलनाडु के राज्यपाल बने। उनका शांतिपूर्ण, संतुलित और संविधान के प्रति निष्ठावान रवैया उन्हें राजकीय पदों के लिए एक उपयुक्त उम्मीदवार बनाता है।
उपराष्ट्रपति पद की दौड़ में 'निकट चूक' (Near Misses):
सी.पी. राधाकृष्णन का नाम उपराष्ट्रपति पद के लिए पहली बार 2017 में तब चर्चा में आया था, जब वेंकैया नायडू इस पद के लिए एनडीए के उम्मीदवार बने थे। उस समय वेंकैया नायडू के गुजरात का राज्यपाल बनने की अटकलों के बाद राधाकृष्णन का नाम उपराष्ट्रपति के लिए प्रबल दावेदार के तौर पर उभरा था। दूसरी बार, 2022 में जब जगदीप धनखड़ एनडीए के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बने, तब भी राधाकृष्णन का नाम विचार के लिए सामने आया था, लेकिन अंततः उन्हें तमिलनाडु का राज्यपाल बनाया गया। इन दोनों मौकों पर "निकट चूक" के बावजूद, उनका अनुभव और एनडीए के प्रति निष्ठा उन्हें एक बार फिर इस पद का संभावित उम्मीदवार बनाती है।
NDA के लिए मजबूत दावेदार क्यों?
भविष्य की राह:राष्ट्रपति चुनाव की तरह, उपराष्ट्रपति चुनाव भी इलेक्टोरल कॉलेज के माध्यम से होता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के सदस्य भाग लेते हैं। एनडीए के पास संख्याबल को देखते हुए, उनके उम्मीदवार के जीतने की संभावना अधिक होती है। सी.पी. राधाकृष्णन जैसे अनुभवी और संवैधानिक रूप से सुसज्जित नेता का उपराष्ट्रपति पद के लिए चुना जाना संसद के कामकाज को और अधिक सुचारू बना सकता है।
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