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Up Kiran, Digital Desk: राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने देशभर के मेडिकल कॉलेजों और संस्थानों में पढ़ रहे चिकित्सा छात्रों की शिकायतों के त्वरित और प्रभावी समाधान के लिए एक अभूतपूर्व त्रि-स्तरीय शिकायत निवारण तंत्र (Three-tier Grievance Redressal Mechanism) की घोषणा की है। यह पहल छात्रों को अकादमिक, वित्तीय, उत्पीड़न, भेदभाव, या किसी भी अन्य प्रकार की समस्याओं के लिए एक पारदर्शी और समयबद्ध प्रक्रिया प्रदान करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसका लक्ष्य एक ऐसा वातावरण बनाना है जहाँ छात्र बिना किसी डर के अपनी बात रख सकें और उनकी समस्याओं का निष्पक्ष समाधान हो सके।

पहला स्तर: संस्थागत शिकायत निवारण समिति (Institutional Grievance Redressal Committee - GRC)
छात्र को सबसे पहले अपनी शिकायत संबंधित मेडिकल कॉलेज या संस्थान के भीतर गठित जीआरसी के पास दर्ज करानी होगी। इस समिति की अध्यक्षता संस्थान का एक वरिष्ठ फैकल्टी सदस्य करेगा और इसमें कम से कम तीन अन्य सदस्य शामिल होंगे। छात्रों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए एक छात्र प्रतिनिधि का होना अनिवार्य है, और जहाँ संभव हो, एक महिला फैकल्टी सदस्य को भी शामिल किया जाएगा। इस स्तर पर शिकायत का समाधान 30 दिनों के भीतर किया जाना अनिवार्य है।

दूसरा स्तर: विश्वविद्यालय शिकायत निवारण समिति (University Grievance Redressal Committee - UGRC)
यदि छात्र जीआरसी के फैसले से संतुष्ट नहीं है या 30 दिनों के भीतर उसकी शिकायत का समाधान नहीं होता है, तो वह अपनी शिकायत संबंधित विश्वविद्यालय की यूआरजीसी के पास ले जा सकता है। इस समिति की अध्यक्षता कुलपति (Vice-Chancellor) या उनके द्वारा नामित कोई व्यक्ति करेगा, और इसमें भी कम से कम तीन सदस्य होंगे। विश्वविद्यालय स्तर पर भी शिकायत का समाधान 30 दिनों के भीतर होना चाहिए।

तीसरा और अंतिम स्तर: राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग शिकायत निवारण समिति (NMC-GRC)
यदि विश्वविद्यालय स्तर पर भी छात्र को न्याय नहीं मिलता या समय सीमा के भीतर समाधान नहीं होता, तो अंतिम विकल्प के रूप में वह अपनी शिकायत सीधे एनएमसी की शिकायत निवारण समिति के पास ले जा सकता है। इस सर्वोच्च समिति की अध्यक्षता एनएमसी का कोई सदस्य करेगा और इसमें कम से कम तीन सदस्य होंगे, जिनमें एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश या सेवानिवृत्त नौकरशाह को शामिल किया जा सकता है ताकि निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके। इस स्तर पर शिकायत का समाधान 60 दिनों के भीतर किया जाना है, और एनएमसी-जीआरसी का निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होगा।

इस तंत्र के तहत अकादमिक मुद्दों, फीस संबंधी चिंताओं, उत्पीड़न (जिसमें यौन उत्पीड़न भी शामिल है), भेदभाव, प्रवेश प्रक्रिया में अनियमितताएं, छात्रवृत्ति, सुरक्षा, साफ-सफाई, धमकाने और रैगिंग जैसे मुद्दों, छात्रावास सुविधाओं और किसी भी अन्य शिकायत को संबोधित किया जाएगा।

एनएमसी का यह कदम चिकित्सा शिक्षा प्रणाली में छात्रों के अधिकारों और कल्याण को प्राथमिकता देने की दिशा में एक मील का पत्थर है। यह सुनिश्चित करेगा कि छात्र अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर सकें और उन्हें किसी भी अन्याय का सामना करने पर एक मजबूत समर्थन प्रणाली मिल सके।

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