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Up Kiran, Digital Desk: फरवरी 2002 में नरेंद्र मोदी ने अपनी पहली चुनावी जीत हासिल की, जो उनके राजनीतिक जीवन का एक अहम क्षण था। इस उपचुनाव में उन्होंने गुजरात के राजकोट II क्षेत्र से चुनाव लड़ा, जो न केवल उनके राजनीतिक अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण था, बल्कि उनके भविष्य के लिए भी आधारशिला साबित हुआ।

मोदी की पहली जीत: राजकोट II, 2002

नरेंद्र मोदी ने 2001 के अंत में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था। हालांकि, विधानसभा में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए उन्हें एक सीट जीतनी आवश्यक थी। राजकोट II उपचुनाव उनके लिए एक महत्वपूर्ण अवसर था, जिसमें उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार अश्विनभाई नारभेशंकर मेहता से मुकाबला किया। मेहता एक सम्मानित बैंकर और स्थानीय राजनीतिक हस्ती थे, जिन्होंने मोदी के खिलाफ कड़ा संघर्ष किया।

मोदी ने केवल 14,728 वोटों के अंतर से जीत हासिल की, जो अपेक्षाकृत छोटा था। राजकोट II सीट पर पहले हुए चुनावों में जीत का अंतर 28,000 वोटों से अधिक था। हालांकि मोदी की यह जीत बड़ी नहीं थी, फिर भी इसने यह दिखा दिया कि वह कड़े विरोध का सामना करने में सक्षम हैं, खासकर जब विपक्ष ने उन्हें घेरने के लिए पूरी ताकत झोंकी।

बीजेपी की रणनीति और छोटे अंतर से जीत

राजकोट II का उपचुनाव बीजेपी के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण था, क्योंकि इससे मोदी की विधानसभा में प्रवेश की राह खुलती थी। हालांकि मोदी की जीत का अंतर पिछली बार के मुकाबले कम था, फिर भी यह उनके राजनीतिक उत्थान की दिशा में एक अहम कदम था। इस जीत ने यह भी दिखाया कि बीजेपी को अन्य सीटों पर हार का सामना करना पड़ा, जैसे महुआ और सैयाजीगंज, जहां कांग्रेस ने मजबूत जीत दर्ज की।

राजकोट II में कांग्रेस के आक्रामक चुनाव प्रचार ने मिश्रित प्रतिक्रिया प्राप्त की। कुछ कांग्रेस नेताओं का मानना था कि इस रणनीति ने उच्च जाति और मध्यवर्गीय मतदाताओं को नाराज किया, जबकि दूसरों का मानना था कि बिना ऐसी रणनीति के कांग्रेस को मोदी के खिलाफ बहुत कम मौका मिलता।

राजकोट II से राष्ट्रीय स्तर तक की यात्रा

राजकोट II में मोदी की पहली जीत केवल शुरुआत थी। इसके बाद मोदी ने मणिनगर निर्वाचन क्षेत्र से तीन लगातार राज्य चुनाव (2002, 2007 और 2012) जीते। इन चुनावों में कांग्रेस के प्रमुख उम्मीदवारों जैसे यतिन ओझा, दिन्शा पटेल और 2012 में संजीव भट्ट की पत्नी भी थे, लेकिन इनमें से कोई भी उम्मीदवार 2002 के मुकाबले मजबूत चुनौती पेश नहीं कर सका।

राजकोट II की जीत ने मोदी को गुजरात की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करने का अवसर दिया, जिससे उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली।

चुनावी प्रतिद्वंद्वियों की धरोहर

2002 के उपचुनाव को मोदी की राजनीतिक कड़ी परीक्षा के रूप में याद किया जाता है। अश्विन मेहता के खिलाफ उनकी जीत ने उन्हें यह आत्मविश्वास दिया कि वह किसी भी कड़ी चुनौती का सामना कर सकते हैं। इस चुनावी संघर्ष ने मोदी को अपनी राजनीति में ताकतवर नेता के रूप में स्थापित किया, और उनका नेतृत्व भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आ गया।

कांग्रेस की अन्य सीटों पर सफलता

राजकोट II में जीत के बावजूद, कांग्रेस ने अन्य दो महत्वपूर्ण उपचुनावों में सफलता प्राप्त की। महुआ और सैयाजीगंज में कांग्रेस ने बीजेपी को हराया। इन सीटों पर कांग्रेस की जीत दक्षिण और मध्य गुजरात में उसके बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है, हालांकि मोदी की जीत ने राजकोट II में बीजेपी की मजबूती को साबित किया।

अश्विन मेहता: एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी

अश्विन मेहता, जो राजकोट II में मोदी के खिलाफ चुनाव लड़े, अपनी शांतिपूर्ण प्रवृत्ति और सम्मानित बैंकिंग करियर के लिए प्रसिद्ध थे। उनके खिलाफ चुनाव प्रचार का मुकाबला मोदी के लिए मुश्किल था, लेकिन अंत में मोदी ने उन्हें हराया। इस चुनावी संघर्ष ने यह साबित कर दिया कि चुनावों की दुनिया में किसी को भी हलके में नहीं लिया जा सकता।

राजकोट II की जीत का महत्व: मोदी का उत्थान

2002 का राजकोट II उपचुनाव नरेंद्र मोदी के राजनीतिक जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। यह उनकी चुनावी यात्रा की शुरुआत थी, जो बाद में उन्हें गुजरात के मुख्यमंत्री से लेकर भारत के प्रधानमंत्री तक के रास्ते पर ले गई। मोदी की यह जीत भविष्य में आने वाले बड़े चुनावी संघर्षों के लिए आधार बनी।

प्रधानमंत्री बनने तक: मोदी की यात्रा

राजकोट II की पहली चुनावी जीत मोदी के लिए एक प्रेरणा बनी, लेकिन यह उनका अंतिम लक्ष्य नहीं था। उन्होंने भविष्य में भी कई बड़े चुनावों में जीत हासिल की, जैसे 2014 के लोकसभा चुनावों में वडोदरा और वाराणसी से, जहां उन्होंने कांग्रेस के मधुसूदन मिस्त्री और आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल को भारी अंतर से हराया। इन चुनावों ने मोदी के राजनीतिक कद को और बढ़ाया और उन्हें भारत के प्रधानमंत्री के रूप में स्थापित किया।