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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में आक्रोश फैला हुआ है। इस बीच भारत के स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा को सोशल मीडिया पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। दरअसल, उन्होंने बेंगलुरु में 24 तारीख को होने वाले एक एथलेटिक्स इवेंट के लिए दुनियाभर के शीर्ष खिलाड़ियों को आमंत्रित किया था। इस लिस्ट में पाकिस्तान के जैवलिन थ्रोअर अरशद नदीम का नाम भी शामिल था।

सोशल मीडिया पर निशाने पर आए नीरज

जैसे ही अरशद को आमंत्रित करने की खबर सामने आई, कई यूज़र्स ने नीरज पर सवाल उठाने शुरू कर दिए। लोगों ने उन्हें ट्रोल किया और उनके फैसले पर नाराजगी जताई। कई टिप्पणियों में अपशब्दों का भी इस्तेमाल किया गया, जिससे मामला और गर्मा गया।

नीरज ने दी अपनी सफाई, ट्रोलर्स को दिया करारा जवाब

लगातार हो रही आलोचना के बीच नीरज चोपड़ा ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा, "मैं आमतौर पर बहुत कम बोलता हूं, लेकिन जब बात मेरे देश, मेरे परिवार और मेरी नीयत की होती है, तो चुप रहना मुश्किल हो जाता है।"

उन्होंने बताया कि अरशद को भेजा गया न्योता सिर्फ एक खिलाड़ी की तरफ से दूसरे खिलाड़ी के लिए था, जिसका उद्देश्य खेल भावना को बढ़ावा देना था। लेकिन इस पर नफरत भरे कमेंट्स और गालियों का सिलसिला शुरू हो गया।

निमंत्रण आतंकी हमले से पहले भेजा गया था

नीरज ने साफ किया कि बेंगलुरु में होने वाले ‘नीरज चोपड़ा क्लासिक’ इवेंट के लिए सभी खिलाड़ियों को आमंत्रण सोमवार को भेजा गया था। यह आतंकी हमले से दो दिन पहले की बात है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि वर्तमान हालात को देखते हुए अरशद नदीम का भारत आना अब संभव नहीं है।

"मेरे लिए देश और उसकी सुरक्षा सबसे पहले है। जिन्होंने अपने परिजनों को खोया है, उनके प्रति मेरी संवेदनाएं हैं। मैं भी आहत हूं और गुस्से में हूं। मुझे भरोसा है कि देश इसका जवाब जरूर देगा," नीरज ने लिखा।

"मेरी चुप्पी को कमजोरी न समझें"

नीरज चोपड़ा ने कहा कि वह वर्षों से भारत का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं और हमेशा देश के सम्मान को प्राथमिकता दी है। उन्हें दुख है कि अब उनकी नीयत पर सवाल उठाए जा रहे हैं। उन्होंने अपील की कि उनके परिवार को इस विवाद से दूर रखा जाए।

नीरज ने मीडिया को भी आगाह किया और कहा, “कुछ संस्थान झूठ फैलाकर माहौल खराब कर रहे हैं। मैं शांत रहता हूं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि जो कहा जा रहा है वह सच है। कृपया हम जैसे आम लोगों को विवादों में न घसीटें।

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