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Up Kiran, Digital Desk: इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के इस साल के अंत तक भारत आने की संभावना जताई गई है। यह उनकी 2018 के बाद पहली आधिकारिक भारत यात्रा होगी। इस दौरे को दोनों देशों के बीच राजनीतिक और आर्थिक रिश्तों को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

हालांकि यात्रा की तारीखें अभी तय नहीं हुई हैं, लेकिन इज़राइल की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नेतन्याहू का लक्ष्य भारत के साथ सुरक्षा, तकनीक और व्यापार जैसे अहम क्षेत्रों में सहयोग को और गहरा करना है।

मोदी और नेतन्याहू की मुलाकात से क्या बदलेगा?

सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेतन्याहू की मुलाकात में कई बड़े मुद्दों पर बातचीत होगी। इनमें रक्षा सहयोग, साइबर सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, और कृषि तकनीक जैसे विषय शामिल हो सकते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह यात्रा इज़राइल की एशिया केंद्रित विदेश नीति का हिस्सा है, जहां भारत को एक रणनीतिक भागीदार के रूप में देखा जा रहा है।

हाल ही में हुआ है निवेश समझौता – विश्वास बढ़ा है

सितंबर में भारत और इज़राइल ने एक अहम द्विपक्षीय निवेश समझौते (BIA) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता नई दिल्ली में भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और इज़राइल के वित्त मंत्री बेज़ेलेल स्मोट्रिच की उपस्थिति में हुआ। इसका उद्देश्य आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना और निवेशकों का भरोसा मजबूत करना है।

दोनों देशों ने नवाचार, डिजिटल व्यापार, वित्तीय विनियमन, और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की सहमति दी है।

एशिया में बढ़ते तनाव के बीच इज़राइल का नया फोकस

इज़राइल फिलहाल यूरोप के साथ तनावपूर्ण संबंधों का सामना कर रहा है। ऐसे में एशियाई देशों, खासकर भारत के साथ रिश्तों को और मजबूत करने की रणनीति पर काम हो रहा है। यह यात्रा इसी रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है।

भारत पहले से ही इज़राइल के साथ कृषि, विज्ञान, हेल्थकेयर और IT जैसे क्षेत्रों में मिलकर काम कर रहा है। अब दोनों देश जल, फिनटेक, निर्माण और रक्षा तकनीक में भी नए प्रोजेक्ट्स शुरू करने की तैयारी में हैं।