Up Kiran, Digital Desk: बिहार की सियासत में इस साल के विधानसभा चुनाव को लेकर घमासान तेज़ हो गया है। राज्य की राजनीति लंबे समय से पारंपरिक दलों के इर्द-गिर्द घूमती रही है, लेकिन इस बार मुकाबला कुछ अलग नजर आ रहा है। पहली बार मैदान में उतर रही 'जन सुराज' और इसके संस्थापक प्रशांत किशोर चुनावी फिजा में एक नया मोड़ ला सकते हैं।
प्रशांत किशोर ने दिए बड़े राजनीतिक संकेत
चुनाव से पहले एक विशेष साक्षात्कार में प्रशांत किशोर ने कई चौंकाने वाले दावे किए हैं। उन्होंने न केवल सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) की संभावनाओं पर सवाल उठाए, बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीतिक भविष्यवाणी करते हुए कहा कि नवंबर के बाद वे सीएम नहीं रहेंगे।
नीतीश का जाना तय मान रहे हैं पीके
प्रशांत किशोर ने यह स्पष्ट रूप से कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों के परिणाम के बाद बिहार को एक नया मुख्यमंत्री मिलेगा। उन्होंने कहा, "आप चाहें तो इसे लिखकर रख लें, नवंबर के बाद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जनता अब बदलाव चाहती है और यह बदलाव चुनावी परिणामों में दिखेगा।
25 सीटों से आगे नहीं बढ़ेगी जेडीयू: प्रशांत किशोर
अपने दूसरे बड़े दावे में किशोर ने कहा कि जेडीयू को इस बार 25 से ज्यादा सीटें नहीं मिलेंगी। उनका कहना है, "अगर जेडीयू 25 से अधिक सीटें जीतती है, तो मैं राजनीति से खुद को पूरी तरह अलग कर लूंगा।" उन्होंने याद दिलाया कि उन्होंने पश्चिम बंगाल में भी इसी प्रकार का आत्मविश्वास दिखाया था और अब भी वे अपनी बात पर अडिग हैं।
लालू यादव को बताया एनडीए की जीत का कारण
तीसरे और शायद सबसे दिलचस्प अनुमान में पीके ने लालू यादव को चुनावी समीकरणों में एक ‘नकारात्मक फैक्टर’ बताया। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में एनडीए को 30 से ज्यादा सीटें इसीलिए मिलीं क्योंकि जनता ने लालू यादव के सत्ता में लौटने की आशंका से बीजेपी और जेडीयू को वोट दिया। उनके अनुसार, बिहार की लगभग 60 प्रतिशत जनता अब राजनीतिक बदलाव चाहती है और लंबे समय से चली आ रही स्थिति से बाहर निकलना चाहती है।
जन सुराज की पूरी ताकत, सभी सीटों पर चुनाव की तैयारी
इस बार प्रशांत किशोर की अगुवाई में 'जन सुराज' सभी 243 विधानसभा सीटों पर किस्मत आजमाने जा रही है। यह पहली बार होगा जब यह संगठन पूरे राज्य में चुनावी रण में उतर रहा है। पीके ने राज्य के हर जिले में पदयात्रा के जरिए लोगों से संवाद स्थापित किया है, और उनका दावा है कि इस जमीनी जुड़ाव का असर चुनावी नतीजों में ज़रूर देखने को मिलेगा।




