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Up Kiran, Digital News: बहुत जल्द (निर्माण अवैध है) ये बोर्ड आपको यूपी के कुछ गांवों की सीमाओं पर दिखेंगे। वजह साफ है—न्यू नोएडा अब सिर्फ एक विचार नहीं, एक हकीकत बनने की ओर बढ़ चुका है।
नोएडा अथॉरिटी ने इस बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए अपने नियोजन अधिकारी को न्यू नोएडा का नोडल अधिकारी नियुक्त कर दिया है। यह नियुक्ति न सिर्फ ज़मीनी कार्यवाही को तेज़ करेगी, बल्कि इससे प्रशासनिक जवाबदेही और पारदर्शिता भी बढ़ेगी।
क्या है न्यू नोएडा प्रोजेक्ट
न्यू नोएडा या DNGIR (Dadri-Noida-Ghaziabad Investment Region), एक ऐसा शहरी केंद्र है जिसे ग्रेटर नोएडा और बुलंदशहर के सीमावर्ती इलाकों में करीब 209.11 वर्ग किलोमीटर में बसाया जाएगा।
इस परियोजना की अधिसूचना अक्टूबर 2024 में जारी की गई थी। चार चरणों में बनने वाले इस शहर में आधुनिक बुनियादी ढांचे, उद्योगों और रिहायशी सुविधाओं की व्यापक योजना है।
अवैध निर्माण पर लगेगा लगाम
प्राधिकरण ने साफ कर दिया है कि अधिसूचित जमीन पर कोई भी नया निर्माण अवैध माना जाएगा। इसके लिए ड्रोन सर्वे और सेटेलाइट मैपिंग की मदद से अधिसूचना तिथि के बाद हुए हर निर्माण की निगरानी की जाएगी। जहां तक नजर जाती है, वहां बोर्ड लगाए जाएंगे जिन पर लिखा होगा कि ये जमीन न्यू नोएडा परियोजना के अंतर्गत अधिसूचित है। यहां कोई निर्माण अवैध है।
किसानों से सहमति आधारित अधिग्रहण
न्यू नोएडा का सबसे अहम हिस्सा है—किसानों से आपसी सहमति से जमीन अधिग्रहण। नोएडा अथॉरिटी के एसीईओ सतीश पाल ने जानकारी दी कि मुआवजे की दर तय करने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और बुलंदशहर के डीएम से चर्चा हो चुकी है। शुरुआत 15 गांवों से होगी, जिनमें करीब 200-200 किसान परिवार रहते हैं। यानी कुल मिलाकर 16,000 परिवारों से बात की जाएगी।
कौन-कौन से गांव होंगे शामिल
न्यू नोएडा में जिन गांवों की जमीन शामिल होगी, उनमें कुछ प्रमुख नाम हैं- बेरंगपुर उर्फ नई बस्ती, फजलपुर, चंद्रावल, चीरसी, फूलपुर, रघुनाथपुर पार्ट, चीती, छयासा, दयानगर, देवटा, कोट, शाहपुर खुर्द आदि। इन गांवों की सीमाओं पर सुरक्षा के लिहाज से निगरानी बढ़ेगी और निर्माण गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जाएगी।
क्यों है न्यू नोएडा ज़रूरी
दिल्ली-एनसीआर का दायरा लगातार बढ़ रहा है। मौजूदा नोएडा और ग्रेटर नोएडा में जगह की सीमाएं आ चुकी हैं। निवेशकों की रुचि और औद्योगिक ज़रूरतों के हिसाब से एक नया नियोजित शहर समय की मांग है।
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