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Up kiran,Digital Desk : कल्पना कीजिए कि कोई संस्था मुफ्त में भाषा सिखाने का बोर्ड लगाती है, लेकिन पर्दे के पीछे उसका मकसद कुछ और ही होता है। कुछ ऐसा ही चौंकाने वाला खुलासा राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने एक मामले में किया है, जिसके तार 2022 के कोयंबटूर कार बम ब्लास्ट से जुड़ रहे हैं।

NIA का आरोप है कि कोयंबटूर में 'कोवई अरेबिक एजुकेशनल एसोसिएशन' नाम की एक सोसायटी 'मुफ्त अरबी क्लास' चला रही थी, लेकिन इसका असली मकसद युवाओं के दिमाग में कट्टरता का जहर भरना और उन्हें आतंकवाद के रास्ते पर धकेलना था।

तो आखिर ये पूरा मामला है क्या?

एनआईए ने इस मामले में 7 और छात्रों और इस एजुकेशनल सोसायटी के खिलाफ एक और चार्जशीट दाखिल की है। यह एनआईए की जांच का अगला कदम है, जिसमें पहले ही 4 लोगों को आरोपी बनाया जा चुका है, जिसमें मद्रास अरेबिक कॉलेज का प्रिंसिपल जमील बाशा भी शामिल है।

हैरानी की बात यह है कि कोयंबटूर ब्लास्ट में पकड़े गए 18 आरोपियों में से 14 इसी कोवई अरेबिक कॉलेज के छात्र थे, जिसे यही सोसायटी चलाती थी।

कैसे फैलाया जा रहा था कट्टरता का जाल?

जांच में सामने आया कि ये पूरा नेटवर्क चलाने के लिए Zoom, WhatsApp और Telegram जैसे आम ऐप्स का इस्तेमाल किया जाता था। इन्हीं के जरिए युवाओं तक भड़काऊ भाषण और कट्टर बातें पहुंचाई जाती थीं। इतना ही नहीं, जो क्लासरूम में पढ़ाई होती थी, वहां भी प्रिंसिपल जमील बाशा के रिकॉर्डेड या लाइव लेक्चर दिखाए जाते थे, जो कथित तौर पर कट्टरता को बढ़ावा देते थे।

इस नई चार्जशीट में जिन सात छात्रों के नाम हैं, वे हैं- मोहम्मद हुसैन, इर्शाथ, अहमद अली, अबू हनीफा, जावहर सादिक, शेख दाऊद और राजा मोहम्मद। इनमें से दो पर पहले से भी आरोप थे, लेकिन अब उन पर और भी गंभीर धाराएं लगाई गई हैं।

एनआईए ने साफ कर दिया है कि उनकी जांच अभी खत्म नहीं हुई है। उनका मकसद सिर्फ इन आरोपियों को सजा दिलाना नहीं, बल्कि इस तरह के पूरे नेटवर्क को जड़ से उखाड़ फेंकना है, जो पढ़ाई की आड़ में देश के युवाओं को गुमराह कर रहे हैं