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bihar cabinet meeting: बिहार में चुनावी माहौल से पहले CM नीतीश कुमार ने कैबिनेट की बैठक में बड़े फैसलों की झड़ी लगा दी। सोमवार को हुई इस बैठक में 27 प्रस्तावों पर मुहर लगी, जिसमें मंत्रियों के वेतन-भत्तों में बढ़ोतरी से लेकर स्वास्थ्य और कृषि विभाग में बंपर बहाली तक शामिल है। नीतीश सरकार ने न सिर्फ अपने मंत्रियों को तोहफा दिया, बल्कि नौकरी के वादों को पूरा करने की दिशा में भी तेजी दिखाई। बक्सर की जलापूर्ति से लेकर शिक्षा और न्याय व्यवस्था में सुधार तक। ये मीटिंग बिहार के लिए कई मायनों में अहम साबित हुई।

मंत्रियों को दिया तोहफा

कैबिनेट ने मंत्रियों और उपमंत्रियों के लिए वेतन-भत्तों में इजाफे का ऐलान किया। अब मंत्रियों का मासिक वेतन 50 हजार से बढ़कर 65 हजार रुपये होगा। क्षेत्रीय भत्ता 55 हजार से 70 हजार और दैनिक भत्ता 3,000 से 3,500 रुपये हो गया है। आतिथ्य भत्ता भी 24 हजार से बढ़कर 29,500 रुपये कर दिया गया। उपमंत्रियों को भी 23,500 की जगह 29,000 रुपये आतिथ्य भत्ता मिलेगा।

राज्य में नौकरियों की बहार

जेडीयू सरकार ने नौकरी के मोर्चे पर भी बड़ी घोषणा की। स्वास्थ्य महकमे में 20,000 से ज्यादा पदों पर भर्ती को हरी झंडी मिली है, जो पुलिस के बाद सबसे बड़ी बहाली होगी। इसके अलावा, कृषि विभाग में 2,590 और मद्य निषेध महकमे में 48 नए पद स्वीकृत किए गए। नगर विकास, राजस्व, शिक्षा, वित्त जैसे 12 विभागों में भी भर्तियों और सुधारों को मंजूरी दी गई। ये कदम युवाओं के लिए रोजगार के नए दरवाजे खोलने का वादा पूरा करने की दिशा में बड़ा संकेत है।

बक्सर जलापूर्ति परियोजना को दी मंजूरी

कैबिनेट ने AMRUT मिशन के तहत बक्सर जलापूर्ति परियोजना के लिए 156.01 करोड़ रुपये स्वीकृत किए। ये योजना शहर में पानी की किल्लत दूर करने और नागरिकों को बेहतर सुविधा देने का वादा करती है। इसके साथ ही, राजस्व न्यायालयों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग शुरू करने के लिए 38 करोड़ रुपये मंजूर किए गए। ये कदम न्याय प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाने में मददगार होगा। शिक्षा महकमे की ‘बिहार शिक्षा प्रशासन नियमावली 2025’ और ‘दंत शिक्षा सेवा नियमावली 2025’ को भी हरी झंडी मिली, जो शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की राह खोलेगी।

चुनाव से पहले नीतीश का मास्टरस्ट्रोक

चुनाव से ठीक पहले मंत्रियों के वेतन में इजाफा और नौकरियों की बौछार। नीतीश कुमार का ये दांव सियासी और प्रशासनिक दोनों नजरिए से चर्चा में है। एक तरफ सरकार अपने मंत्रियों को खुश कर रही है, तो दूसरी तरफ युवाओं और ग्रामीणों के लिए बड़े वादे पूरे करने की कोशिश दिख रही है।