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भारत में अदालतें कई गंभीर अपराधों के लिए अपराधियों को मौत की सजा देती हैं। अपराधियों को फांसी देने के लिए एक विशेष प्रकार की रस्सी का भी उपयोग किया जाता है।
अपराधियों को फाँसी देने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रस्सी को मनी रोप भी कहा जाता है। इस रस्सी को यह नाम इसलिए मिला क्योंकि इसे पहली बार फिलीपींस में एक पेड़ से बनाया गया था। फांसी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रस्सी पर पानी का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। यह रस्सी पानी सोख लेती है।
हमार देश में फांसी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रस्सी बक्सर जेल में बनाई जाती है। अपराधियों को फांसी देने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रस्सी 1930 से बिहार के बक्सर जेल में बनाई जाती है।
इस रस्सी की खूबी जानें
'मनी रोप' का नाम सुनने में भले ही साधारण लगे, मगर इसकी जड़ें एक अनोखी कहानी से जुड़ी हैं। बताया जाता है कि इस रस्सी को पहली बार फिलीपींस में एक खास पेड़ से बनाया गया था। इसके कारण इसे ये नाम मिला। ये रस्सी अपनी खूबी के लिए जानी जाती है। पानी का असर इस पर नहीं पड़ता, बल्कि ये पानी को सोख लेती है। इससे इसकी मजबूती और विश्वसनीयता बनी रहती है। फांसी की सजा को शीघ्र और प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए ये गुण बहुत जरूरी है।
आपको बता दें कि फांसी की सजा और इसके लिए इस्तेमाल होने वाली रस्सी का मुद्दा हमेशा से विवादास्पद रहा है। जहां एक ओर ये दोषियों को सजा देने का साधन है। तो वहीं मानवाधिकार संगठन इसे क्रूर और अमानवीय करार देते हैं।
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