
Up Kiran, Digital Desk: जब दुनिया का सबसे बड़ा मंच हो, और उस मंच से भारत की बुलंद आवाज़ गूंजे, तो हर शब्द के गहरे मायने होते हैं। न्यूयॉर्क में चल रही संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में कुछ ऐसा ही हुआ, जब भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने H1B वीज़ा जैसे संवेदनशील मुद्दे पर एक ऐसा जवाब दिया, जो एक नए और आत्मविश्वास से भरे भारत की पहचान है।
यह सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि एक ऐलान था कि दुनिया अब भारत के हुनर और उसके पेशेवरों की ताकत को अनदेखा नहीं कर सकती।
क्या है पूरा मामला: पिछले कुछ समय से अमेरिका में H1B वीज़ा की फीस बढ़ाने और नियमों को और सख़्त करने की बातें चल रही हैं। यह वीज़ा भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स और दूसरे कुशल कामगारों के लिए अमेरिका में काम करने का सबसे बड़ा ज़रिया है। ज़ाहिर है, इन ख़बरों से उन लाखों भारतीय युवाओं और उनके परिवारों में चिंता का माहौल था जो अमेरिका में अपना भविष्य बनाना चाहते हैं।
जयशंकर ने दिया दुनिया को दो टूक जवाब
इसी चिंता के बीच, जब विदेश मंत्री जयशंकर से इस बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने कोई गोलमोल या रक्षात्मक जवाब नहीं दिया। बल्कि उन्होंने पूरी दुनिया के सामने एक ऐसी सच्चाई रखी, जिससे कोई भी देश मुंह नहीं मोड़ सकता।
उन्होंने कहा, "एक ग्लोबल वर्कफोर्स (वैश्विक कार्यबल) अब एक सच्चाई है। आप इस सच्चाई से भाग नहीं सकते।"
इस एक लाइन के गहरे मायने समझिए:
हम 'लेने' नहीं, 'देने' भी आते हैं: जयशंकर का संदेश साफ़ था कि भारतीय पेशेवर अमेरिका या किसी दूसरे देश में सिर्फ़ नौकरियां 'लेने' नहीं जाते। वे अपने साथ अपना हुनर, अपनी मेहनत और अपनी प्रतिभा लेकर जाते हैं, जिससे वे उस देश की अर्थव्यवस्था को और मज़बूत बनाते हैं। यह एक दो-तरफा रास्ता है।
टैलेंट की कोई सरहद नहीं होती: आज के दौर में दुनिया एक-दूसरे से इतनी ज़्यादा जुड़ चुकी है कि आप प्रतिभा को दीवारों या वीज़ा के सख़्त नियमों से रोक नहीं सकते। जिसे दुनिया में बेस्ट टैलेंट चाहिए, उसे अपने दरवाज़े खोलने ही पड़ेंगे।
यह भारत का हक़ है: यह बयान उस पुराने दौर से बहुत आगे का है, जब भारत वीज़ा के लिए दूसरे देशों से सिर्फ़ अनुरोध करता था। यह एक बराबरी का संवाद है, जहाँ भारत यह बता रहा है कि हमारे पेशेवर आपकी ज़रूरत भी हैं, और उनके हितों की रक्षा करना हमारी ज़िम्मेदारी है।
एस. जयशंकर का यह बयान सिर्फ H1B वीज़ा पर नहीं, बल्कि उस नए भारत की विदेश नीति पर एक मुहर है, जो अब दुनिया से अपनी शर्तों पर और अपने सम्मान के साथ बात करता है। यह उन लाखों भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए एक बड़ा आश्वासन है कि जब वे दुनिया के किसी भी कोने में भारत का नाम रौशन कर रहे होते हैं, तो उनका देश भी उनके पीछे एक चट्टान की तरह खड़ा होता है।