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Up Kiran, Digital Desk: भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़ी एक अहम रिपोर्ट ने मार्केट में नई हलचल पैदा कर दी है। इस बार खबर सिर्फ निवेशकों के लिए नहीं, बल्कि आम जनता के लिए भी दिलचस्प है। वैश्विक ब्रोकरेज फर्म Citi ने देश की तीन प्रमुख वाहन निर्माता कंपनियों—मारुति सुजुकी इंडिया, हुंडई मोटर इंडिया और महिंद्रा एंड महिंद्रा—को लेकर जो दृष्टिकोण अपनाया है, उसका असर गाड़ियों की कीमतों से लेकर शेयर बाजार तक देखा जा सकता है।

आम जनता के लिए क्या है खास?

ऑटो कंपनियों की शेयर रेटिंग में सुधार केवल निवेशकों के लिए संकेत नहीं है, बल्कि इससे आम ग्राहक को भी लाभ मिल सकता है। Citi की रिपोर्ट में साफ इशारा है कि बाजार में वाहनों की मांग बढ़ रही है और यह आने वाले समय में कीमतों, विकल्पों और उपलब्धता पर सीधा असर डाल सकती है।

मारुति सुजुकी: छोटे परिवारों की पहली पसंद और निवेशकों की नई उम्मीद

मारुति सुजुकी देश में छोटे और मिड-सेगमेंट पैसेंजर वाहनों के बाजार की सबसे बड़ी खिलाड़ी रही है। Citi ने इसके शेयर का लक्ष्य मूल्य ₹14,400 से बढ़ाकर ₹17,500 कर दिया है। कंपनी की लगातार नई मॉडल्स की लॉन्चिंग और ग्राहक-केंद्रित रणनीतियां इसे बाज़ार में और मज़बूत बना रही हैं। टैक्स में राहत और बढ़ती डिमांड की वजह से बिक्री में उछाल आने की संभावना है।

हुंडई मोटर इंडिया: SUV और EV के ज़रिए बढ़ रही है पकड़

हुंडई लंबे समय से भारतीय ग्राहकों के बीच विश्वसनीय ब्रांड के रूप में जानी जाती रही है। Citi ने इसके शेयर का टारगेट ₹2,400 से बढ़ाकर ₹2,900 कर दिया है। आने वाले महीनों में SUV और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की मांग में जबरदस्त वृद्धि की उम्मीद जताई गई है। खास बात यह है कि हुंडई पहले से ही EV सेगमेंट में अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुकी है, जिससे यह बदलाव और भी ज़्यादा असरदार हो सकता है।

महिंद्रा एंड महिंद्रा: ग्रामीण और अर्ध-शहरी भारत की धड़कन

महिंद्रा एंड महिंद्रा ने SUV और इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट में अपनी सशक्त पहचान बना ली है। Citi ने इसके शेयर का मूल्य लक्ष्य ₹3,700 से बढ़ाकर ₹4,100 निर्धारित किया है। खासकर बोलेरो, स्कॉर्पियो और XUV जैसी SUV गाड़ियाँ ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में बेहद लोकप्रिय हैं। इसके साथ ही, इलेक्ट्रिक वाहनों में भी कंपनी की योजनाएं इसे आगे ले जा रही हैं।

आर्थिक नीतियों और मौसम का असर भी अहम

टैक्स और लोन से जुड़ी राहतें

सरकार की टैक्स नीति में बदलाव, खासकर GST कटौती और इनकम टैक्स रेट्स में सुधार, ने उपभोक्ताओं की खरीदने की क्षमता को मजबूत किया है। इसके अलावा, ब्याज दरों में गिरावट ने ऑटो लोन को सस्ता बना दिया है, जिससे पहली बार गाड़ी खरीदने वालों की संख्या बढ़ सकती है।

त्योहारों का सीज़न और बाज़ार में उत्साह

श्राद्ध के बाद शुरू हो रहे नवरात्रि और दीवाली जैसे पर्वों में परंपरागत रूप से बड़ी खरीदारी होती है। इस दौरान ऑटो डीलरशिप्स में भीड़ बढ़ती है और ऑफर्स की भरमार होती है। ऐसे में, Citi की रिपोर्ट इस समय पर आने से इसका प्रभाव और ज़्यादा बढ़ सकता है।