(पवन सिंह)
विफलताओं को भी सफलता की तरह परिभाषित करके सच को जिंदा दफन करने की महारथ अगर किसी को हासिल है तो वह इकलौती भाजपा है। वह अंधों को भी आइना बेंच देती है और आंख वालों से रौशनी छीनकर अंधेरे के लाभ गिना देती है। नोट बंदी जैसे "डिजास्टर" को भी जिस खूबी से देश की जनता के (खासकर हिंदी बेल्ट) सामने प्रस्तुत किया गया, यह धूर्तता का ऐसा इकलौता उदाहरण है जिसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज होना चाहिए...!!! जब सत्ता को महसूस हुआ कि नोट बंदी बैकफायर मार रही है तो इसे हिंदू-मुस्लिम के चिर-परिचित खांचे में शानदार तरीके से फिट करके एक और जबरदस्त काउंटर फायर झोंका गया कि नोट बंदी ने काश्मीर के आतंकवादियों की कमर तोड़ दी...!!! ख़बरें चलाईं गईं कि-पश्चिमी बंगाल की ओर से आ रहे नकली नोटों के धंधे को तहस-नहस कर दिया..!!! प्रोपेगैंडा की यह मिसाइल तो पाकिस्तान तक को टार्गेट कर आई कि भारत में हुई नोट बंदी ने पाकिस्तान को कंगाल कर दिया..!!!!
सत्ता ने देश के सबसे महत्वपूर्ण सात हिंदी भाषी राज्यों -उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड व झारखंड...को बखूबी समझा लिया है। इन सातों राज्यों का आई क्यू लेबल भी आइंस्टीन से कम नहीं है, यह सत्ता बेहतर जान चुकी है। इन राज्यों के लोगों को तथाकथित मुस्लिम, काश्मीर, पाकिस्तान और बांग्लादेश के नाम से दिली तसल्ली और तासीर मिलती, वह ठंड इन्हें किसी कार में पड़े "कूलेंट" की तरह बराबर पहुंचाई जाती रहती है...!!! जबकि हकीकत यह है कि नोट बंदी से न तो नकली नोटों का कारोबार रूका हैं और न ही काश्मीर में आतंकवादी घटना में..!!! मोदी सरकार में 18 बड़े आतंकी हमले हुए हैं। नोट बंदी के "फुलिश मास्टर स्ट्रोक" को लेकर सरकार पालतू मीडिया के जरिए लाख दावे कर ले लेकिन 2017 में काश्मीर में होने वाली आतंकी घटनाओं और पत्थरबाजी की घटनाओं में कोई कमी नहीं आई है।
वह बात दीगर है कि किसी आदमी की "गैस रिलीज की आवाज" को भी जो भारतीय मीडिया "बम विस्फोट" दिखाता था, वह अब छोटी-मोटी घटनाओं पर खामोश रह जाता है। गृह मंत्रालय अपने लिखित जवाब में कहता है कि जुलाई, 2016 से 15 जुलाई 2017 तक जम्मू कश्मीर में बैंक लूट के 9 बड़े मामले सामने आए हैं और इनमें से 5 बैंक एटीएम चोरी के मामले भी सूचित किए गए। गृह मंत्रालय की ही रिपोर्ट बताती है कि एक करोड़ 17 लाख 61 हज़ार 550 रुपए लूटे गए आतंकवादियों ने इस बीच लूटे। जिसमें से एक लाख 99 हजार रुपए सुरक्षा बलों ने अलग-अलग ऑपरेशन में बरामद कर लिए हैं। नोट बंदी के पहले और उसके बाद मोदी सरकार में 18 बड़े आतंकी हमले राज्य मेन हुए हैं। इनमें कुछ भयावह हैं- 18 सितंबर, 2016 को जम्मू-कश्मीर के उड़ी सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास स्थित भारतीय सेना के कैम्प पर हमला किया गया था। इस हमले में 19 जवान मारे गए थे। यह हमला ढ़ाई दशकों का सबसे बड़ा हमला था।
02 जनवरी, 2016 को चरमपंथियों ने पंजाब के पठानकोट एयरबेस पर हमला किया था। इसमें 7 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे जबकि 20 अन्य घायल हुए थे और जवाबी कार्रवाई में चार चरमपंथियों की भी मौत हुई थी। 27 जुलाई , 2015 को पंजाब को गुरदासपुर के दीनापुर में हमलावरों ने तड़के ही एक बस पर फ़ायरिंग की और इसके बाद पुलिस थाने पर हमला कर दिया. हमले में एसपी (डिटेक्टिव) समेत चार पुलिसकर्मी और तीन नागरिक मारे गए थे। 10 जुलाई, 2017 को अमरनाथ जा रहे श्रद्धालुओं पर अनंतनाग ज़िले में एक चरमपंथी हमला हुआ। इस हमले में 7 लोग मारे गए थे। भारतीय इतिहास का सुरक्षाबलों पर पहला बड़ा हमला पुलवामा हमला था। गुरुवार को पुलवामा ज़िले में श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर चरमपंथियों ने आईईडी धमाका कर सीआरपीएफ़ के काफ़िले पर हमला किया है। इस हमले में 40 जवान मारे गए थे। पुलवामा पहला ऐसा आतंकी हमला भी है जिसकी आज तक जांच नहीं हुई और उन लोगों ने भी जांच की मांग कभी नहीं की जो भारत माता की जय के नारे मिनारों के किनारे तक लगा आते हैं!!!!!
मई, 2014 से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं। उनके 6 साल के कार्यकाल के जो संदर्भित विवरण उपलब्ध हैं उसके अनुसार 2014 से लेकर 2019 तक आतंक की 2,302 घटनाएं हुईं, जिसमें 995 आतंकी मारे गए। 419 जवान शहीद हुए और 177 आम नागरिकों की जान गई। मोदी सरकार के 6 साल में हर दिन औसतन 1 आतंकी घटना हुई और हर दो दिन में 1 आतंकी मारा गया।
एक न्यूज चैनल की मोहतरमा जब अपने स्टूडियो में बैठकर 2000 की नोट से सिग्नल सीधे सैटेलाइट को और वहां से इनकमटैक्स विभाग को ट्रांसमिट कर रही थीं...उसका सच यह है कि नकली नोटों ने रिजर्व बैंक आफ इंडिया की नाक में दम कर रखा है।वित्त वर्ष 2023-24 में चिह्नित किए गए 2,000 रुपये के नकली नोट की सख्या बढ़कर 26,035 हो गई है, जबकि इसके पहले के वित्त वर्ष में 9,806 नकली नोट चिह्नित किए गए थे और रिजर्व बैंक ने 2,000 रुपये के नोटों को वापस लेना शुरू कर दिया था। रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2024 की सालाना रिपोर्ट में कहा है कि-"2000 रुपये के नोटों को प्रचलन से बाहर किए जाने तथा बड़ी संख्या में इन नोटों के प्रॉसेसिंग के कारण वर्ष के दौरान इस मूल्य के नकली नोटों की संख्या में वृद्धि हुई है।"
साल 2016 में नोटबंदी का फ़ैसला लेते समय केंद्र सरकार ने कहा था कि इसके कई फायदों में से एक नकली नोटों के इस्तेमाल पर लगाम लगाना होगा। लेकिन रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट पर नज़र डालें तो ये साफ़ है कि भारत में नकली नोटों के चलन में बढ़ोतरी ही हुई है। वित्तीय वर्ष 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई ने वर्ष 2020-21 की तुलना में 500 रुपये मूल्य के 101.9 प्रतिशत अधिक नकली नोट और 2,000 रुपये मूल्य के 54.16 प्रतिशत अधिक नकली नोटों का पता लगाया। इसी तरह दस रुपए के नकली नोटों में 16.4 फ़ीसदी, 20 रुपए के नकली नोटों में 16.5 फ़ीसदी और 200 रुपए के नकली नोटों में 11.7 फ़ीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। केवल 50 और सौ रुपए के नकली नोटों में क्रमशः 28.7 फ़ीसदी और 16.7 फ़ीसदी की गिरावट पाई गई।
फिलहाल, जिस तरह से 9 जून, 2024 को एक तीर्थयात्री बस पर आतंकियों ने हमला किया है और 10 लोग मारे गये हैं, वह सत्ता के इस झूठ को गर्द में उडाने के लिए काफी हे कि आतंकवादियों की कमर टूट चुकी है। मोदी सरकार को चीनी सैन्य घुसपैठ और पाकिस्तानी आतंकियों की घुसपैठ पर खुलकर जनता के सामने आना चाहिए...!!! मीडिया और संवैधानिक संस्थाओं के गुब्बारे पर आखिर कब तक सरकार चलेगी....?????
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