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Up Kiran, Digital Desk: हर किसान की सबसे बड़ी और सबसे ज़िद्दी सिरदर्दी होती है खेत में उगे 'बिन बुलाए मेहमान', यानी खरपतवार। यह वो दुश्मन है जो चुपके से आता है और हमारी मुख्य फसल का सारा पोषण, पानी और धूप चुरा लेता है, जिससे पैदावार घट जाती है और हमारी सारी मेहनत पर पानी फिर जाता है।

इस दुश्मन से लड़ने के लिए हमारे किसान भाई या तो हज़ारों रुपये खर्च करके मज़दूरों से निराई-गुड़ाई करवाते हैं, या फिर ज़हरीले रासायनिक खरपतवारनाशकों का छिड़काव करते हैं, जो हमारी ज़मीन की सेहत के लिए भी अच्छा नहीं है।

लेकिन अब, इस सालों पुरानी समस्या का एक बहुत ही सरल, सस्ता और शानदार समाधान मिल गया है।

किसानों के लिए 'वरदान' है यह मशीन

रांची के बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने किसानों के इस दर्द को समझा और एक ऐसी कमाल की मशीन तैयार की है, जो खरपतवार का काल बनकर आई है। यह कोई बहुत बड़ी और महंगी मशीन नहीं है, बल्कि एक ऐसी मशीन है जिसे छोटे से छोटा किसान भी आसानी से खरीदकर इस्तेमाल कर सकता है।

क्या करती है यह जादुई मशीन?

यह मशीन कोई रॉकेट साइंस नहीं, बल्कि एक बहुत ही सीधी और असरदार तकनीक पर काम करती है।

जड़ से उखाड़ फेंकेगी: यह मशीन खरपतवार को सिर्फ ऊपर से नहीं काटती, बल्कि उसे जड़ से उखाड़कर मिट्टी में मिला देती है। इससे खरपतवार दोबारा जल्दी नहीं उग पाता और जो उखड़ा हुआ खरपतवार मिट्टी में मिलता है, वो सड़कर खाद का काम करता है।

केमिकल को कहें 'ना': इस मशीन के आने के बाद अब आपको खेतों में ज़हरीले खरपतवारनाशकों का छिड़काव करने की कोई ज़रूरत नहीं पड़ेगी। इससे आपका पैसा तो बचेगा ही, साथ ही आपकी मिट्टी की सेहत भी बनी रहेगी और आपकी फसल भी केमिकल मुक्त होगी।

मज़दूरी का खर्च बचेगा: निराई-गुड़ाई के लिए अब आपको मज़दूरों पर हज़ारों रुपये खर्च करने की ज़रूरत नहीं। जो काम कई मज़दूर मिलकर कई दिनों में करते थे, वो काम यह अकेली मशीन कुछ ही घंटों में कर देगी।

यह मशीन सिर्फ़ एक मशीन नहीं, बल्कि किसानों के लिए एक सच्चा साथी है जो उनका समय बचाएगी, पैसा बचाएगी और उनकी पैदावार को बढ़ाने में सीधी मदद करेगी। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय का यह आविष्कार सचमुच हमारे देश के किसानों की तस्वीर बदलने की दिशा में एक बहुत बड़ा और सराहनीय कदम है।