
Up Kiran, Digital Desk: भारत के रियल एस्टेट सेक्टर में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक़, देश के लगभग 14 करोड़ स्क्वायर फ़ीट के ऑफिस और मॉल (रिटेल स्पेस) अब रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (REIT) बाज़ार में लिस्ट हो चुके हैं। अनुमान है कि 2030 तक भारत के कुल ऑफिस स्टॉक का 25 से 30 प्रतिशत हिस्सा REIT के ज़रिए बाज़ार में आ सकता है, जो अभी सिर्फ़ 16 प्रतिशत है।
क्या है REIT और इसका आप पर क्या असर होगा?
आसान भाषा में समझें तो REIT एक तरह का म्यूचुअल फ़ंड है, लेकिन यहाँ पैसों की जगह प्रॉपर्टी में निवेश किया जाता है। कंपनियाँ अपनी बड़ी-बड़ी कमर्शियल प्रॉपर्टी (जैसे ऑफिस बिल्डिंग, मॉल) को छोटे-छोटे हिस्सों में बाँटकर शेयर बाज़ार में लिस्ट करती हैं। इससे आम निवेशक भी इन महंगी प्रॉपर्टी में छोटी रक़म लगाकर हिस्सेदार बन सकते हैं और किराये से होने वाली कमाई का फ़ायदा उठा सकते हैं।
भारत में ऑफिस REIT का चलन अब शुरुआती दौर से आगे बढ़कर तेज़ी से ग्रोथ कर रहा है। देश में अभी चार बड़े ऑफिस REIT हैं, जिनके तहत लगभग 13.3 करोड़ स्क्वायर फ़ीट की अच्छी क्वालिटी वाली ऑफिस जगहें आती हैं।
बेंगलुरु और हैदराबाद सबसे आगे
रिपोर्ट बताती है कि REIT में लिस्ट की जा सकने वाली प्रॉपर्टी के मामले में टॉप सात शहरों में बेंगलुरु 24 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ सबसे आगे है, जबकि हैदराबाद 19 प्रतिशत के साथ दूसरे नंबर पर है। इसका मतलब है कि इन शहरों में निवेशकों के लिए कमाई के सबसे ज़्यादा मौके हैं। अभी जो REITs मौजूद हैं, उनकी लगभग 3.4 करोड़ स्क्वायर फ़ीट की प्रॉपर्टी बन रही है, जो अगले 2 सालों में तैयार हो जाएगी।
क्यों बढ़ रहा है REIT का क्रेज़?
भारत में REIT, ख़ासकर ऑफिस सेक्टर में, काफ़ी रफ़्तार पकड़ रहे हैं। इसका कारण है बाज़ार में नई लिस्टिंग का आना, किराये पर ऑफिस लेने वाली कंपनियों की संख्या का बढ़ना और इस सेक्टर का ज़्यादा संगठित होना।
कोलियर्स इंडिया के चीफ़ एक्ज़ीक्यूटिव ऑफिसर, बादल याग्निक का कहना है, "ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCCs) के साथ-साथ टेक्नोलॉजी और फ़ाइनेंस (BFSI) कंपनियों की तरफ़ से ऑफिस स्पेस की बढ़ती माँग के कारण बिल्डिंगें ख़ाली नहीं हैं। भारत में कमर्शियल रियल एस्टेट सेक्टर में 86 प्रतिशत से ज़्यादा ऑफिस भरे हुए हैं, जो एक बहुत अच्छा संकेत है।"
आने वाले समय में क्या बदलेगा?
दुनिया के बाक़ी देशों, जैसे- अमेरिका और यूरोप में REIT सिर्फ़ ऑफिस और मॉल तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वहाँ इंडस्ट्रियल गोदामों, अस्पतालों, डेटा सेंटर और यहाँ तक कि रहने वाले घरों में भी इसका चलन है। जानकारों का मानना है कि भारत में भी REIT को सिर्फ़ ऑफिस से आगे बढ़ना चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक़, आने वाले समय में सीनियर हाउसिंग (बुज़ुर्गों के लिए घर), को-लिविंग (एक साथ रहने की जगह) और स्टूडेंट हाउसिंग (छात्रों के लिए हॉस्टल) जैसे सेक्टर भी भारत में REIT के लिए एक बड़ा अवसर बन सकते हैं।
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