
Up Kiran, Digital Desk: घुटनों का दर्द अब सिर्फ बुढ़ापे की निशानी नहीं रहा, बल्कि यह 35 से 40 साल के युवाओं में भी एक आम समस्या बनता जा रहा है। यह बात KIMS अस्पताल द्वारा अनंतपुर में आयोजित एक जागरूकता कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने कही।
हैदराबाद के KIMS अस्पताल के वरिष्ठ ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन, डॉ. बी. नरेंद्र बाबू ने बताया कि बदलती जीवनशैली, व्यायाम की कमी, बढ़ता मोटापा और घंटों एक ही जगह पर बैठकर काम करना, खासकर आईटी पेशेवरों में, इसके मुख्य कारण हैं। उन्होंने कहा कि घुटनों में दर्द, सूजन या सीढ़ियां चढ़ने में दिक्कत जैसे शुरुआती लक्षणों को बिल्कुल भी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।
खुशी की बात यह है कि मेडिकल साइंस में हुई तरक्की ने इसका इलाज बहुत आसान और असरदार बना दिया है। डॉ. बाबू ने बताया कि अब कम चीरे वाली सर्जरी (minimally invasive), पार्शियल नी रिप्लेसमेंट, टोटल नी रिप्लेसमेंट और यहाँ तक कि रोबोटिक सर्जरी जैसे आधुनिक विकल्प उपलब्ध हैं।
इन आधुनिक तकनीकों का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इनमें दर्द कम होता है, चीरा बहुत छोटा लगता है, मरीज़ बहुत जल्दी ठीक हो जाता है और अक्सर उसी दिन से चलना-फिरना शुरू कर सकता है।
कार्यक्रम में अनंतपुर KIMS के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. मंजुनाथ ने भी अपने विचार रखे और लोगों को घुटनों को स्वस्थ रखने के लिए नियमित व्यायाम और संतुलित जीवनशैली अपनाने की सलाह दी।
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