
Up Kiran, Digital Desk: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया है कि कैंसर के उपचार में मौखिक स्वास्थ्य (oral health) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनका कहना है कि मुंह की स्वच्छता और स्वास्थ्य पर ध्यान देना कैंसर रोगियों में उपचार के परिणामों को बेहतर बनाने और उनकी जीवित रहने की दर (सर्वाइवल रेट) को बढ़ाने में सहायक हो सकता है।
एम्स के डॉक्टरों और शोधकर्ताओं के अनुसार, कैंसर के इलाज के दौरान, विशेष रूप से कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी के कारण, रोगियों को मुंह से संबंधित कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
इनमें मुंह के छाले, सूखापन, संक्रमण और निगलने में कठिनाई शामिल है। ये समस्याएं न केवल रोगी के लिए दर्दनाक होती हैं, बल्कि उनके पोषण को भी प्रभावित करती हैं और उपचार को बाधित कर सकती हैं।
उन्होंने बताया कि अच्छी मौखिक स्वच्छता बनाए रखने से इन जटिलताओं को कम किया जा सकता है। नियमित रूप से दांतों की जांच, सही ब्रशिंग तकनीक और मुंह की देखभाल से संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है, दर्द को नियंत्रित किया जा सकता है और रोगी को पर्याप्त पोषण बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
इससे रोगी उपचार को बेहतर ढंग से सहन कर पाता है और समग्र स्वास्थ्य में सुधार होता है।
एम्स का यह बयान कैंसर देखभाल में एक एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता को रेखांकित करता है, जिसमें न केवल प्राथमिक कैंसर उपचार, बल्कि रोगी के समग्र कल्याण और मुंह के स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया जाए। यह कैंसर रोगियों के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार और बेहतर परिणामों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है।
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