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Up Kiran, Digital Desk: दक्षिण कोरिया ने अमेरिका में अपनी नई शीर्ष दूत, कांग क्यूंग-व्हा, को नियुक्त किया है, और पद संभालते ही उन्होंने एक ऐसा बयान दिया है जो दुनिया की दो बड़ी शक्तियों के रिश्तों की दिशा तय करेगा। उन्होंने साफ और सीधे शब्दों में कहा है कि सियोल-वाशिंगटन गठबंधन ही राष्ट्रपति ली जे म्युंग की "व्यावहारिक" कूटनीति का आधार है, और इसे मजबूत करना ही उनकी पहली प्राथमिकता होगी।

क्या है इस "व्यावहारिक कूटनीति" का मतलब?

राजदूत कांग ने अपने उद्घाटन समारोह में कहा कि दुनिया आज बहुत मुश्किल चुनौतियों से गुजर रही है। ऐसे में, दक्षिण कोरिया की सरकार भावनाओं में बहकर नहीं, बल्कि अपने राष्ट्रीय हितों को केंद्र में रखकर फुर्ती से फैसले लेगी। और इस प्रैक्टिकल सोच की नींव है - अमेरिका के साथ मजबूत दोस्ती।

सीधे शब्दों में कहें तो, दक्षिण कोरिया दुनिया को यह संदेश दे रहा है कि अमेरिका के साथ उसका रिश्ता किसी भी सूरत में कमजोर नहीं होगा, क्योंकि यही उसके राष्ट्रहित में है।

सिर्फ सेना नहीं, दोस्ती के हैं 'तीन स्तंभ'

राजदूत कांग ने इस दोस्ती को और गहराई से समझाते हुए कहा कि अब यह सिर्फ एक सैन्य गठबंधन नहीं है, बल्कि यह भविष्य की सोच वाला एक ऐसा रिश्ता है जो तीन मजबूत स्तंभों पर खड़ा है:

सुरक्षा (Security): यह पारंपरिक स्तंभ है, जिसमें उत्तर कोरिया जैसे खतरों से मिलकर निपटना शामिल है।

अर्थव्यवस्था (Economy): दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को और बढ़ाना।

अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी (Cutting-edge Technology): भविष्य की टेक्नोलॉजी, जैसे AI, सेमीकंडक्टर और 6G में मिलकर काम करना, ताकि दोनों देश दुनिया में सबसे आगे रहें।

मैं एक पुल बनकर काम करूंगी: कांग ने यह भी वादा किया कि वह सिर्फ सरकारों के बीच ही नहीं, बल्कि अमेरिकी कांग्रेस, वहां के थिंक-टैंक्स और मीडिया के साथ भी गहरे संबंध बनाएंगी ताकि कोई गलतफहमी पैदा न हो।

उन्होंने खुद को सियोल और वाशिंगटन के बीच एक "संचार का पुल" बताया, जिसका काम दोनों देशों के बीच बातचीत को आसान बनाना होगा। यह इसलिए भी अहम है क्योंकि जल्द ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) शिखर सम्मेलन के सिलसिले में दक्षिण कोरिया का दौरा करने वाले हैं।

यह नियुक्ति दिखाती है कि दक्षिण कोरिया अपने सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी, अमेरिका के साथ अपने संबंधों को कितनी गंभीरता से लेता है और भविष्य में इस रिश्ते को सिर्फ सैन्य ताकत तक सीमित न रखकर, टेक्नोलॉजी और व्यापार में भी एक नई ऊंचाई पर ले जाना चाहता है।