Up Kiran, Digital Desk: पाकिस्तान और इज़राइल का रिश्ता अब तक काफी उलझा हुआ रहा है। पाकिस्तान ने हमेशा इज़राइल को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता नहीं दी है और यहां तक कि इज़राइल का नाम लेना भी गुनाह समझा जाता था। लेकिन अब पाकिस्तान अपनी नीति में पलटाव दिखा रहा है।
हाल ही में पाकिस्तान के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने इज़राइल की खुफिया एजेंसी मोसाद के अधिकारियों से मुलाकात की। यह मुलाकात मिस्र में एक गुप्त बैठक के दौरान हुई। इसमें अमेरिकी एजेंसी सीआईए के अधिकारी भी शामिल थे। इस बैठक ने पाकिस्तान की विदेश नीति में एक नया मोड़ दिया है।
इज़राइल से पाकिस्तान की मुलाकात: क्या बदल रहा है?
यह पहली बार है कि पाकिस्तान ने इज़राइल के साथ कोई आधिकारिक बातचीत की है। यह मुलाकात और उसके बाद के समझौते के बारे में कई बातें सामने आई हैं। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में इज़राइल ने पाकिस्तान को गाजा में अपने 20,000 सैनिक भेजने के लिए तैयार कर लिया है। ये सैनिक एक इंटरनेशनल स्टैबिलाइजेशन फोर्स का हिस्सा होंगे, जिसमें मिस्र, तुर्की, अज़रबैजान जैसे देशों के सैनिक भी शामिल होंगे।
यह शांति प्रयासों का हिस्सा है और पाकिस्तान ने इज़राइल के साथ मिलकर गाजा में शांति स्थापित करने की योजना बनाई है। यहां यह जानना अहम है कि पाकिस्तान हमेशा इज़राइल को एक देश के रूप में स्वीकार नहीं करता रहा है, तो ऐसे में इस मुलाकात की अहमियत और अधिक बढ़ जाती है।
पाकिस्तान की सेना का रोल: शांति या संघर्ष?
इस मुलाकात में इज़राइल ने यह साफ किया है कि पाकिस्तान की सेना गाजा में शांति व्यवस्था कायम करेगी, न कि किसी संघर्ष में भाग लेगी। साथ ही, इज़राइल ने ये भी कहा कि हामस से हथियार वापस लेने की जिम्मेदारी पाकिस्तान और अन्य मुस्लिम देशों के सुरक्षा बलों पर होगी।
यह साफ है कि पाकिस्तान की भूमिका मुख्यतः शांति स्थापना और पुनर्निर्माण के लिए होगी। इज़राइल ने पाकिस्तान से यह वादा लिया है कि वह गाजा में बफर बल के रूप में काम करेगा और सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। इस योजना में पाकिस्तान, इंडोनेशिया और अज़रबैजान जैसी ताकतें शामिल होंगी, जो पश्चिमी और अरब देशों के नेतृत्व वाले गठबंधन का हिस्सा बनेंगी।
पाकिस्तान को अस्थायी राहत: एक डील की सूरत में
सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान के इस कदम को एक अस्थायी राजनयिक राहत के रूप में देखा जा रहा है। यह राहत पश्चिमी सुरक्षा सेवाओं के बदले में प्रदान की जा रही है। इसमें नियंत्रण रेखा पर भारतीय सैन्य दबाव में कमी और पाकिस्तान की घरेलू कार्रवाईयों पर पश्चिमी मानवाधिकार निकायों की आलोचना में कमी शामिल है।
एक सूत्र ने इसे 'एक अस्तित्व-रक्षा सौदा' बताया है, जिसमें आर्थिक राहत और वैश्विक वैधता प्राप्त करने के बदले पाकिस्तान ने शांति बल के रूप में गाजा में अपनी भूमिका स्वीकार की है।
_2140722144_100x75.jpg)
_1778375906_100x75.png)
_1525908501_100x75.png)
_813586283_100x75.png)
_1938617968_100x75.png)