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Up Kiran, Digital Desk: यूपी में अवैध कब्जा विरोधी कार्रवाई को लेकर हाल ही में विवादों का दौर शुरू हो गया है। पंचायत विभाग ने बीडीओं को एक निर्देश जारी किया, जिसमें विशेष रूप से यादव और मुस्लिम समुदायों द्वारा ग्राम सभा की जमीनों पर अवैध कब्जे को हटाने के लिए अभियान चलाने का आदेश था। इस आदेश के लीक होते ही राजनीति गरमा गई और विपक्षी दलों ने इसे गंभीर मुद्दा बनाकर सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है।

दो दस्तावेज सोशल मीडिया और व्हाट्सएप पर वायरल हो रहे हैं, जिनमें से एक पत्र पंचायती राज विभाग के निदेशक द्वारा सभी जिलाधिकारियों को भेजा गया है। इसे संयुक्त निदेशक सुरेंद्र नाथ सिंह ने अपने हस्ताक्षर से जारी किया था। दूसरा पत्र बलिया जिले के जिला पंचायत अधिकारी अवनीश कुमार द्वारा बीडीओ को जारी किया गया था। अवनीश कुमार ने स्वीकार किया कि यह आदेश उन्हें शासन की तरफ से प्राप्त हुआ था, लेकिन अब इसे वापस ले लिया गया है।

पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि प्रदेश के 57,691 ग्राम पंचायतों में यादव और मुस्लिम जाति विशेष द्वारा ग्राम सभा की जमीनें, तालाब, खाद के गड्ढे, खेत, खेल के मैदान, शमशान भूमि और पंचायत भवन पर कब्जा है, जिन्हें मुक्त कराने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए। इस दिशा-निर्देश में सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे भाजपा नेता विवेक कुमार श्रीवास्तव के पत्र के आधार पर अभियान को अंजाम दें।

हालांकि, जब अवनीश कुमार से इस अभियान की जिम्मेदारी और जारी आदेश के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि यह आदेश गलती से जारी हो गया क्योंकि निरस्त करने का आदेश उन्हें तुरंत नहीं मिला था। उन्होंने यह भी कहा कि अब उक्त आदेश को निरस्त कर दिया गया है।

वहीं, पंचायती राज विभाग के निदेशक ने इस पूरे मामले से दूरी बना ली है। उन्होंने साफ कहा कि उनके स्तर से कोई भी ऐसा आदेश नहीं दिया गया था और यह संयुक्त निदेशक के व्यक्तिगत स्तर पर हुई भूल थी, जिसे प्रशासन ने तुरंत सुधार दिया है।

इस विवाद के बीच समाजवादी पार्टी ने सरकार पर तीखा प्रहार किया है। पार्टी के प्रवक्ता और पूर्व मंत्री मनोज राय धूपचंडी का कहना है कि ऐसी सरकार जो 'सबका साथ' का नारा देती है, वही जाति और धर्म के आधार पर अवैध कब्जे को लेकर भेदभावपूर्ण नीति अपना रही है। उनका आरोप है कि यह प्रशासन की ऐसी नीति है जो संविधान की भावना के खिलाफ है और समाज की एकता को कमजोर करने वाली साजिश का हिस्सा है। वे कहते हैं कि जो सरकार जातिवाद और सांप्रदायिकता में उलझी हो, वह कभी भी देश के निर्माण और विकास में योगदान नहीं दे सकती।

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