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बच्चों की दवाइयों को लेकर अक्सर माता-पिता अनजाने में कई गलतियां कर देते हैं, जिससे बच्चों की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। क्या आप जानते हैं कि सिर्फ दवा देने के तरीके में थोड़ी सावधानी से आपके बच्चे की बीमारी जल्दी ठीक हो सकती है? चाइल्ड हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. पवन मंडावीया ने कुछ जरूरी बातें साझा की हैं, जिनसे दवाओं का असर बेहतर होगा और अनावश्यक नुकसान भी टला जा सकेगा।
दवा का असर कैसे होता है कम? जानिए ये वजहें
अक्सर देखा गया है कि दवा की बोतल को हिलाए बिना दी जाती है, जिससे दवा के महत्वपूर्ण तत्व जम जाते हैं और दवा का पूरा फायदा नहीं मिलता। इसके अलावा, एक ही दवा के अलग-अलग ब्रांड में ताकत या मात्रा भिन्न होती है। अगर सही मात्रा का ध्यान न रखा जाए तो बच्चे को या तो कम दवा मिलेगी या ज्यादा, जो दोनों ही खतरनाक हो सकते हैं।
एक्सपायरी डेट और दवा को स्टोर करने के तरीके का बड़ा रोल
दवाओं का सही असर पाने के लिए उनकी एक्सपायरी डेट देखना बेहद जरूरी है। खास बात ये है कि बोतल खोलने के बाद दवा का एक महीने के अंदर ही उपयोग करना चाहिए। दवाइयों को सही तापमान पर रखना भी उतना ही जरूरी है। कुछ दवाइयों को फ्रिज में रखना पड़ता है, तो कुछ को कमरे के तापमान पर। गलत जगह रखने से दवा खराब हो सकती है और बीमारी ठीक होने में देर हो सकती है।
दवा देने का सही तरीका जानिए, जान बच सकती है
डॉ. पवन का कहना है कि दवा देते समय ड्रॉपर, सिरिंज या मापने वाले कप का इस्तेमाल करें। चम्मच से दवा देने पर सही मात्रा नहीं पता चल पाती और बच्चे को नुकसान हो सकता है। साथ ही, जब एक से ज्यादा दवाएं देनी हों तो उनके बीच कम से कम 10 से 15 मिनट का फासला रखें। खासकर कैल्शियम और आयरन की दवाएं एक साथ न दें, इनके बीच दो घंटे का अंतर जरूरी होता है।
दवा देना बीच में न छोड़ें, पूरा कोर्स जरूरी
कई बार बच्चे के स्वस्थ होने पर माता-पिता दवा देना बंद कर देते हैं, जो सही नहीं है। विशेष रूप से एंटीबायोटिक दवाओं का पूरा कोर्स करना बहुत जरूरी होता है। अधूरा इलाज बीमारी को फिर से बढ़ावा देता है और बच्चे की सेहत पर गहरा असर डाल सकता है।
दवा लेने का सही समय जानिए, बच्चे की तेजी से होगी ठीक
हर दवा की अपनी समय सीमा होती है। कुछ दवाएं भोजन से पहले लेनी होती हैं और कुछ बाद में। यदि दवा को डॉक्टर के बताए समय के अनुसार नहीं दिया गया तो उसका असर कम हो सकता है। इसलिए, दवा लेने के सही टाइमिंग पर कड़ाई से पालन करना बच्चे की सेहत के लिए लाभकारी होगा।