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Up Kiran, Digital Desk: योगी सरकार द्वारा 21 मई को एक अखबार की कतरन के जरिए घोषणा की गई कि सरकार राज्य में 1,93,000 शिक्षक भर्तियाँ करने जा रही है। यह खबर उस वक्त सुर्खियों में आई जब सरकार के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से पोस्ट डिलीट कर दी गई, जिसके बाद राजनीति का एक नया मोड़ सामने आया। इस मुद्दे को लेकर अब सियासी घमासान शुरू हो चुका है, और समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक लंबी पोस्ट लिख कर भाजपा की रणनीतियों पर सवाल उठाए हैं।
शिक्षक भर्ती की घोषणा: क्या है असल मामला
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर एक विस्तृत विश्लेषण किया और भाजपा की मंशा पर सवाल उठाया। अखिलेश ने अपनी पोस्ट में लिखा, "यदि 1,93,000 शिक्षक भर्तियों के लिए कम से कम 75 अभ्यर्थी हों, तो कुल संख्या 1,44,75,000 बनती है। अगर इन अभ्यर्थियों के परिवार को भी जोड़ लिया जाए तो लगभग 4.34 करोड़ लोग इससे प्रभावित होंगे।"
इसके बाद, अखिलेश यादव ने इस आंकड़े का राजनीतिक गणित समझाया, जिससे पता चलता है कि अगर इन लोगों का आधा हिस्सा भी भाजपा का विरोधी वोटर हो, तो भाजपा को 2027 के विधानसभा चुनावों में भारी नुकसान होगा। उनके अनुसार, यह संख्या इतनी बड़ी हो सकती है कि प्रत्येक विधानसभा सीट पर लगभग 54,000 वोटों का नुक़सान भाजपा को उठाना पड़ेगा, जिससे पार्टी केवल कुछ सीटों पर ही सिमट सकती है।
भाजपा का आगामी संकट: 2027 के चुनाव की सच्चाई
अखिलेश ने भाजपा के 2027 के चुनावी गणित को लेकर स्पष्ट कहा कि पुलिस भर्ती के मामले में भी भाजपा को राज्य में आधी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। अब शिक्षक भर्ती के आंकड़े भी भाजपा के लिए एक सियासी चुनौती बन चुके हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जैसे ही यह आंकड़ा विधानसभा चुनाव लड़ने वाले भाजपा के प्रत्याशियों तक पहुंचेगा, उनका राजनीतिक गणित टूट जाएगा और चुनाव में उनकी हार तय हो जाएगी।
अखिलेश का कहना है कि भाजपा में इस समय भगदड़ मचने वाली है, और यह पार्टी के भीतर मतदाता ही नहीं, प्रत्याशी भी संकट में फंस जाएंगे। यही कारण है कि भाजपा सरकार के खिलाफ यूपी की जनता में आक्रोश का माहौल है, जो 2027 में भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
भाजपा की नाकामी: जनता में आक्रोश का बढ़ता असर
सपा अध्यक्ष ने भाजपा के खिलाफ कई मोर्चों पर हमला बोला। उन्होंने लिखा, "कन्नौज लोकसभा सीट पर भाजपा की हार और उत्तर प्रदेश में उनके राजनीतिक समीकरणों की विफलता इस बात का स्पष्ट संकेत है कि भाजपा की साम्प्रदायिक राजनीति और विकास के दावे पूरी तरह असफल हो चुके हैं। इनकी सरकार ने केवल सपा सरकार के कामों का उद्घाटन किया है, न कि कोई नया काम किया है।"
अखिलेश ने आरोप लगाया कि भाजपा ने राज्य में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है और लोक कल्याण के नाम पर केवल अपनी जेबें भरी हैं। उनका कहना था कि भाजपा 2027 के चुनाव में हार मान चुकी है और अब राज्य में हर ठेके और काम से पैसा बटोरने में लगी है, जिससे यूपी में "ऐतिहासिक महाभ्रष्टाचार" का दौर चल रहा है।
समाजवादी पार्टी का विज़न: सामाजिक न्याय का रास्ता
अखिलेश यादव ने अंत में कहा कि उत्तर प्रदेश में अब भाजपा की विभाजनवादी राजनीति का दौर खत्म हो चुका है। समाजवादी पार्टी सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांतों पर आधारित सकारात्मक राजनीति की ओर बढ़ रही है। उन्होंने दावा किया कि अब जनता जाग चुकी है और 2027 में यूपी में एक समता-समानतावादी सरकार बनेगी। उनका कहना था कि "90% पीड़ित जनता अब भाजपा को हराने के लिए तैयार है और समाजवादी पार्टी की सरकार बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।"
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