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Up Kiran, Digital Desk: शतरंज की दुनिया के सबसे बड़े मंच, FIDE वर्ल्ड कप 2025 में भारत के युवा ग्रैंडमास्टर आर. प्रज्ञानानंदा एक बड़ी हार से बाल-बाल बच गए. कनाडा के अनुभवी ग्रैंडमास्टर विक्टर मिखलेव्स्की के खिलाफ खेलते हुए प्रज्ञानानंदा लगभग पूरा मैच हार की कगार पर थे, लेकिन आखिरी पलों में उनकी जबरदस्त रक्षात्मक खेल और विरोधी खिलाड़ी की एक चूक ने उन्हें मैच ड्रॉ कराने में मदद की.

सफेद मोहरों से खेलते हुए भी प्रज्ञानानंदा के लिए यह मुकाबला बिल्कुल भी आसान नहीं था. उनके प्रतिद्वंद्वी विक्टर मिखलेव्स्की ने एक ऐसी शुरुआती चाल चली, जिसकी उम्मीद शायद प्रज्ञानानंदा को भी नहीं थी. क्वीन इंडियन डिफेंस की इस क्लासिकल वेरिएशन ने भारतीय स्टार को शुरू से ही दबाव में डाल दिया.

मैच के बीच में एक ऐसा समय आया जब प्रज्ञानानंदा की स्थिति बेहद कमजोर हो गई थी और उनकी हार लगभग तय मानी जा रही थी. लेकिन शतरंज का खेल अनिश्चितताओं का ही दूसरा नाम है.

कैसे पलटा पूरा खेल?

मैच का टर्निंग पॉइंट आया 31वीं चाल पर. जीत की ओर बढ़ रहे कनाडाई खिलाड़ी ने 'b5' की एक गलत चाल चल दी. यह प्रज्ञानानंदा के लिए एक जीवनदान की तरह था. इस एक गलती को भांपते हुए प्रज्ञानानंदा ने फौरन मौके का फायदा उठाया और शानदार डिफेंसिव खेल दिखाया. उन्होंने न सिर्फ बाजी को संभाला, बल्कि विरोधी खिलाड़ी पर दबाव बनाना भी शुरू कर दिया.

आखिरकार, 48 चालों के बाद दोनों खिलाड़ी ड्रॉ पर सहमत हो गए. यह नतीजा प्रज्ञानानंदा के लिए किसी जीत से कम नहीं था, क्योंकि उन्होंने एक हारी हुई बाजी को बचाया था.

अन्य भारतीय खिलाड़ियों का शानदार प्रदर्शन

जहां एक ओर प्रज्ञानानंदा संघर्ष कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर भारत के अन्य स्टार खिलाड़ियों ने अपने-अपने मुकाबले आसानी से जीत लिए. अर्जुन एरिगैसी, डी. गुकेश और विदित गुजराती ने अपने-अपने प्रतिद्वंद्वियों को हराकर अगले दौर में प्रवेश किया. वहीं, निहाल सरीन का मुकाबला भी ड्रॉ पर समाप्त हुआ.

प्रज्ञानानंदा ने भले ही यह मुकाबला ड्रॉ खेला हो, लेकिन मुश्किल परिस्थिति से निकलकर जिस तरह उन्होंने वापसी की, वह उनके चैंपियन बनने के जज्बे को दिखाता है.