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कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में भारतीय पर्यटकों पर हुए हमले में कई निर्दोष लोगों की जान चली गई। इस मुद्दे पर देशभर में नाराजगी की आवाज उठ रही है, वहीं आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद महाराज ने भी टिप्पणी की है।
वर्तमान में समाज में जाति, धर्म और भाषा के आधार पर विभाजन पैदा हो रहा है। नफरत ने लोगों के दिलों में इस कदर घर कर लिया है कि कई बार यह फूट पड़ती है और पेट की बात होठों पर आ जाती है, जिससे बहस और अपराध होते हैं। हालांकि, प्रेमानंद महाराज का कहना है कि हथियार लेकर निर्दोष लोगों की जान लेना और उनसे उनका धर्म पूछना किसी भी धर्म में स्वीकार्य नहीं है।
पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि कोई दूसरों की हत्या करके अपने धर्म को महान बनाने की कोशिश कर रहा है, तो यह धर्म नहीं बल्कि अधर्म है। क्योंकि कोई भी धर्म ऐसी बात नहीं सिखाता। निर्दोष लोगों की हत्या करना, उन्हें परेशान करना और उन पर अत्याचार करना अपराध है और अपराधी को दंडित किया जाना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति किसी परिवार को असुरक्षित बनाता है, किसी परिवार को असुरक्षित बनाता है, किसी समाज को असुरक्षित बनाता है, किसी समाज को असुरक्षित बनाता है, किसी राज्य को असुरक्षित बनाता है, किसी राष्ट्र को असुरक्षित बनाता है, तो उस अपराधी से निपटना ही धर्म है।
आगे उन्होंने कहा कि विश्व शांति के लिए ऐसे लोगों पर शासन किया जाना चाहिए। जो हम चाहते हैं, वही करना धर्म नहीं, बल्कि विकृति है। इस तरह का व्यवहार करने वाले लोगों का धर्म चाहे जो भी हो, अगर वे दूसरों को परेशानी पहुंचाते हैं, लोगों को डराते हैं, या असुरक्षित महसूस कराते हैं, तो ऐसे अपराधियों को दंडित किया जाना चाहिए। असहाय, कमजोर तत्वों पर शक्ति का प्रयोग करना उन लोगों का काम है जिनका मन भ्रष्ट है। सरकार को उन पर नियंत्रण रखना चाहिए।