
Up Kiran, Digital Desk: तेलंगाना सरकार स्थानीय निकाय चुनावों के लिए 'दो-बच्चे के मानदंड' (Two-child norm) को खत्म करने पर विचार कर रही है। यह नियम वर्तमान में उन व्यक्तियों को चुनाव लड़ने से रोकता है जिनके दो से अधिक बच्चे हैं। अगर यह बदलाव होता है, तो यह राज्य की राजनीति और सामाजिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
क्या है यह नियम और क्यों हटने की बात हो रही है?
'दो-बच्चे का नियम' कई राज्यों में लागू है, जिसका उद्देश्य जनसंख्या नियंत्रण को बढ़ावा देना है। इस नियम के तहत, यदि किसी व्यक्ति के दो से अधिक बच्चे हैं, तो वह पंचायत, नगरपालिका या अन्य स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो जाता है।
समय के साथ इस नियम की आलोचना भी हुई है। आलोचकों का तर्क है कि यह नियम कुछ समुदायों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और हाशिए पर रहने वाले लोगों को चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने से रोकता है। कई बार, अनजाने में या सामाजिक-सांस्कृतिक कारणों से, लोग इस नियम का उल्लंघन कर देते हैं, जिससे उन्हें चुनाव लड़ने से वंचित होना पड़ता है, भले ही वे सक्षम उम्मीदवार हों।
सरकार का संभावित कदम: तेलंगाना सरकार अब इस नियम को हटाने या उसमें ढील देने पर विचार कर रही है। यह कदम संभवतः अधिक लोगों को स्थानीय शासन में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करेगा और चुनावी प्रक्रिया को अधिक समावेशी बनाएगा। इसके पीछे यह विचार भी हो सकता है कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए अन्य, अधिक प्रभावी और सामाजिक रूप से स्वीकार्य तरीके अपनाए जाएं, बजाय इसके कि लोगों को चुनावी अधिकारों से वंचित किया जाए।
अगर यह नियम हटता है, तो इससे बड़ी संख्या में ऐसे उम्मीदवार लाभान्वित होंगे जो अब तक इस प्रावधान के कारण चुनाव नहीं लड़ पा रहे थे। यह राज्य की ग्रामीण और शहरी राजनीति में नए चेहरों को लाने का अवसर प्रदान कर सकता है।
सरकार के इस संभावित कदम को एक प्रगतिशील निर्णय के रूप में देखा जा रहा है जो लोकतांत्रिक भागीदारी को व्यापक बनाएगा। हालांकि, अभी आधिकारिक घोषणा का इंतजार है, लेकिन यह खबर उन सभी लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो स्थानीय चुनावों में भाग लेने की इच्छा रखते हैं।
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