Up Kiran, Digital Desk: बिहार में इंडिया गठबंधन की करारी शिकस्त के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत में हवा का रुख बदलता दिख रहा है। समाजवादी पार्टी के अंदर एक बड़ा वर्ग अब खुलकर कहने लगा है कि 2027 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन की मौजूदा शक्ल शायद काम न आए। सपा के कई वरिष्ठ नेता और जमीनी कार्यकर्ता यह बात अखिलेश यादव तक पहुंचा चुके हैं कि बिहार जैसे नतीजे दोहराए नहीं जाने चाहिए।
सीट बंटवारा जल्दी और स्मार्ट तरीके से चाहिए
सपा के इस गुट का साफ कहना है कि अबकी बार सीटों का बंटवारा बहुत पहले फाइनल हो जाना चाहिए। बिहार में आखिरी वक्त तक खींचतान चलती रही और नतीजा सबके सामने है। नेताओं का मानना है कि अगर सीटें समय रहते तय हो जाएंगी तो दोनों पार्टियां अपनी-अपनी सीटों पर पूरा दमखम लगा सकेंगी।
सबसे बड़ी चिंता यह है कि कांग्रेस को वे सीटें न दी जाएं जहां उसकी जमीनी पकड़ कमजोर हो। बिहार में यही गलती महंगी पड़ी थी। वहां कांग्रेस ने 61 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और सिर्फ 6 पर ही जीत हासिल की। 2020 में भी उसने 19 सीटें जीती थीं। इस बार प्रदर्शन इतना खराब रहा कि पूरे गठबंधन की नैया डूब गई।
अखिलेश ने कहा गठबंधन बना रहेगा, पर अंदर खाने सवाल उठ रहे
अखिलेश यादव ने सार्वजनिक मंचों से बार-बार दोहराया है कि इंडिया गठबंधन मजबूत है और 2027 में भी सपा कांग्रेस के साथ ही लड़ेगी। लेकिन पार्टी के अंदर जो बातें हो रही हैं वे कुछ और ही कहानी बयान कर रही हैं। कई जिला और प्रदेश स्तर के नेता निजी बातचीत में कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में जो फॉर्मूला चला वह विधानसभा में फिट नहीं बैठेगा।
लोकसभा में सपा ने 37 और कांग्रेस ने 6 सीटें जीती थीं। वह प्रदर्शन कांग्रेस का 2009 के बाद यूपी में सबसे अच्छा था। लेकिन विधानसभा का मैदान अलग होता है। 2017 में भी दोनों पार्टियों ने गठबंधन किया था और बुरी तरह हारे थे। उस हार की यादें अभी ताजा हैं।
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