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Up Kiran, Digital Desk: कोचिंग सिटी के नाम से मशहूर कोटा एक बार फिर एक छात्र की सपनों की मौत का गवाह बना है। यहां मेडिकल की पढ़ाई कर रहे एक होनहार छात्र ने सिर्फ इसलिए अपनी जिंदगी खत्म कर ली, क्योंकि परीक्षा में उसके नंबर अच्छे नहीं आए थे। इस घटना ने एक बार फिर हमारी शिक्षा व्यवस्था और छात्रों पर बढ़ते मानसिक दबाव को लेकर एक कड़वा सवाल खड़ा कर दिया है।

क्या है यह दिल दहला देने वाला मामला?

 

मामला कोटा के एक मेडिकल कॉलेज का है, जहां एक छात्र MBBS की पढ़ाई कर रहा था। बताया जा रहा है कि हाल ही में हुए एक्जाम का रिजल्ट आया था, जिसमें उसके मार्क्स उम्मीद से काफी कम थे। परिवार और दोस्तों के मुताबिक, रिजल्ट आने के बाद से ही वह काफी तनाव और डिप्रेशन में था। उसे शायद यह डर सता रहा था कि वह अपने माता-पिता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सका।

इसी दबाव और निराशा के बोझ तले दबकर उसने इतना बड़ा और खौफनाक कदम उठा लिया। छात्र ने अपने हॉस्टल के कमरे में आत्महत्या कर ली। जब काफी देर तक उसका कमरा नहीं खुला तो दोस्तों ने हॉस्टल मैनेजमेंट को जानकारी दी, जिसके बाद दरवाजा तोड़ा गया और यह दुखद घटना सामने आई।

पुलिस को मिला सुसाइड नोट

 

पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि कमरे से एक सुसाइड नोट भी मिला है, जिसमें छात्र ने अपने इस कदम के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया है और अपने माता-पिता से माफी मांगी है। उसने लिखा है कि वह अच्छे नंबर न ला पाने के कारण निराश है और अब और हिम्मत नहीं बची है।

सपनों का शहर या दबाव की फैक्ट्री?

 

यह घटना कोई पहली नहीं है। कोटा, जो हर साल लाखों बच्चों को डॉक्टर और इंजीनियर बनने के सपने दिखाता है, वही शहर आज छात्रों की आत्महत्याओं के कारण भी जाना जाने लगा है। सवाल यह है कि आखिर गलती कहां हो रही है? क्या हमारी शिक्षा प्रणाली बच्चों को असफलताओं से लड़ना नहीं सिखा पा रही? क्या माता-पिता की उम्मीदों का बोझ इतना भारी हो गया है कि बच्चे उसके नीचे दबकर अपनी जान दे रहे हैं?

एक परीक्षा में कम नंबर आना जिंदगी का अंत नहीं हो सकता, लेकिन शायद यह बात हम अपने बच्चों को समझाने में नाकाम हो रहे हैं। यह घटना उन सभी माता-पिता, शिक्षकों और समाज के लिए एक चेतावनी है कि अपने बच्चों पर ध्यान दें, उनसे बात करें और उन्हें बताएं कि नंबरों से बढ़कर उनकी जिंदगी है।