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जैसे-जैसे दिल्ली की हवा खराब होती जा रही है, वैसे-वैसे पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में भी तेजी आ गई है. पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (PPCB) के ताजा आंकड़े चिंता बढ़ाने वाले हैं. 22 अक्टूबर तक राज्य में पराली जलाने के 484 मामले दर्ज किए गए हैं, जो 16 अक्टूबर तक दर्ज 188 मामलों के मुकाबले बहुत तेजी से बढ़े हैं.

तरन तारन और अमृतसर में सबसे बुरे हालात

आंकड़ों के मुताबिक, सबसे ज्यादा 154 मामले तरन तारन जिले में सामने आए हैं. इसके बाद अमृतसर में 126, फिरोजपुर में 55 और पटियाला में 31 मामले दर्ज हुए. यह साफ दिखाता है कि सरकार की लगातार अपीलों के बावजूद कई किसान अब भी खेतों में आग लगाकर पराली निपटा रहे हैं.

आमतौर पर, दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण के लिए पंजाब और हरियाणा में जलाई जाने वाली पराली को एक बड़ी वजह माना जाता है. अक्टूबर और नवंबर में धान की फसल कटने के बाद गेहूं की बुआई के लिए बहुत कम समय बचता है, इसलिए किसान जल्दी से खेत खाली करने के लिए पराली में आग लगा देते हैं.

सरकार की कार्रवाई जारी: अधिकारियों के मुताबिक, अब तक पराली जलाने के 226 मामलों में 11.45 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा चुका है, जिसमें से 7.40 लाख रुपये वसूल भी लिए गए हैं. इसके अलावा, 184 एफआईआर भी दर्ज की गई हैं, जिनमें सबसे ज्यादा मामले तरन तारन और अमृतसर में हैं.

यही नहीं, पराली जलाने वाले किसानों की जमीन के रिकॉर्ड में 187 'रेड एंट्री' भी की गई हैं. 'रेड एंट्री' होने के बाद किसान अपनी जमीन पर न तो कोई लोन ले सकते हैं और न ही उसे बेच सकते हैं.

आपको बता दें कि पंजाब ने 2024 में पराली जलाने के मामलों में 70% की कमी दर्ज की थी, लेकिन मौजूदा हालात पिछले सालों की याद दिला रहे हैं, जब संगरूर, मानसा, बठिंडा और अमृतसर जैसे जिलों में बड़े पैमाने पर पराली जलाई जाती थी.