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Up Kiran, Digital Desk: जम्मू-कश्मीर के पुंछ सेक्टर में हाल ही में हुई पाकिस्तानी गोलाबारी ने न सिर्फ सरहद पर तनाव बढ़ाया, बल्कि कई परिवारों की जिंदगी भी उजाड़ दी। इस गोलाबारी ने जिन बच्चों से उनका परिवार छीन लिया, अब उनके जीवन में एक नई आशा की किरण जग गई है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इन बच्चों की ज़िम्मेदारी उठाने का फैसला किया है, जिन्होंने 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान अपने माता-पिता को खो दिया था।

मानवीयता की मिसाल बने राहुल गांधी

राहुल गांधी ने न केवल जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा स्थिति को गंभीरता से लिया है, बल्कि वहां की पीड़ित आबादी से सीधे संवाद कर उनकी तकलीफों को समझने का प्रयास भी किया। मई में अपनी पुंछ यात्रा के दौरान उन्होंने प्रभावित परिवारों से मुलाकात की और उनके दुख-दर्द को साझा किया। इस मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने यह ऐलान किया कि वे उन 22 अनाथ बच्चों को गोद लेंगे, जो हालिया संघर्ष का शिकार बने।

राजनीति से ऊपर उठकर लिया गया फैसला

सामान्यतः राजनीतिक नेताओं के बयान सुरक्षात्मक और रणनीतिक प्रकृति के होते हैं, लेकिन राहुल गांधी का यह कदम मानवीय संवेदना पर आधारित है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यह कोई राजनीतिक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक सामाजिक ज़िम्मेदारी है। उनका मानना है कि इन बच्चों को अगर सही मार्गदर्शन, शिक्षा और सहयोग मिले, तो वे भविष्य में देश के लिए एक मजबूत आधार बन सकते हैं।

ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि

इस पूरी घटना की जड़ें मई में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में हैं। यह सैन्य कार्रवाई भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर की गई थी, जिसका उद्देश्य पहलगाम में 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या का बदला लेना था। जवाब में, पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा से लगे क्षेत्रों पर भारी गोलाबारी की, जिससे पुंछ जैसे सीमावर्ती इलाकों में जन-धन की बड़ी क्षति हुई।

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