Up Kiran, Digital Desk: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए प्रचार अपने शबाब पर है। भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के प्रमुख नेता जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और अन्य वरिष्ठ नेता, कई राज्यों के मुख्यमंत्री और डिप्टी मुख्यमंत्री प्रचार में पूरी तरह जुटे हुए हैं। वहीं महागठबंधन में तेजस्वी यादव पूरी सक्रियता के साथ मैदान में हैं, लेकिन उनके प्रचार में एक अहम कमी दिखाई दे रही है। वह कमी है कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेता राहुल गांधी की उपस्थिति की, जो अब तक बिहार चुनाव प्रचार से गायब हैं।
राहुल गांधी का इस चुनाव में कोई खास रोल न होना कई सवालों को जन्म दे रहा है। क्या वह बिहार चुनाव में अपनी उपस्थिति को लेकर कोई विशेष रणनीति अपना रहे हैं या फिर उनकी अनुपस्थिति सिर्फ एक संयोग है? हालांकि, चुनाव की तारीखें अब बेहद नजदीक आ चुकी हैं और राहुल गांधी की नजरें कहीं और हैं, यह बात पार्टी के भीतर चर्चा का विषय बन चुकी है।
राहुल गांधी का बिहार दौरा और उसके बाद की चुप्पी
राहुल गांधी बिहार में आखिरी बार 1 सितंबर को आए थे, जब उन्होंने 'वोट चोरी' का आरोप लगाते हुए वोटर अधिकार यात्रा में भाग लिया था। इसके बाद से वह चुनाव प्रचार से पूरी तरह से गायब हो गए हैं। कांग्रेस पार्टी ने राज्य में 61 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि महागठबंधन का हिस्सा आरजेडी अकेले 143 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है। उस समय, सीटों के बंटवारे और उम्मीदवारों पर कोई स्पष्टता नहीं थी, और अब राहुल गांधी की अनुपस्थिति कांग्रेस के लिए एक बड़ा सवाल बन चुकी है।
राहुल गांधी की चुप्पी को लेकर आरजेडी के एक सूत्र का कहना है कि यह शायद एक रणनीति का हिस्सा है। दरअसल, कांग्रेस के अंदर ही कुछ नेताओं ने इस रणनीति को स्वीकार किया है। यूपी के एक कांग्रेस नेता ने लाइव मिंट से बातचीत में बताया कि जब राहुल गांधी चुनाव प्रचार में उतरते हैं, तो वह अक्सर सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकाबले में आ जाते हैं। इस स्थिति में, मोदी का कद इतना बड़ा है कि उनकी लोकप्रियता को चुनौती देना कांग्रेस के लिए कठिन हो जाता है।
तेजस्वी यादव का चेहरा और कांग्रेस की भूमिका
कांग्रेस चाहती है कि बिहार चुनाव का मुख्य मुकाबला तेजस्वी यादव बनाम नीतीश कुमार के बीच हो, न कि राहुल गांधी बनाम नरेंद्र मोदी। इस कारण से राहुल गांधी को प्रचार से बाहर रखा गया है, और वह अब तक प्रचार में कोई खास सक्रियता नहीं दिखा रहे हैं। हालांकि, कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी कुछ दिनों के लिए प्रचार में भाग लेंगी, लेकिन अंतिम निर्णय और प्रचार का कमान तेजस्वी यादव के हाथ में रहेगा। यही वजह है कि तेजस्वी को ही महागठबंधन का चेहरा माना गया है।
एनडीए की बढ़ती सक्रियता
वहीं, एनडीए की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले से ही चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। इसके अलावा, विपक्षी गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने राज्य भर में कई जनसभाएं आयोजित की हैं। जन सुराज पार्टी के प्रशांत किशोर भी बिहार में जोरदार प्रचार कर रहे हैं। ऐसे में राहुल गांधी की दूरी पार्टी के भीतर एक अहम मुद्दा बन चुकी है, खासकर टिकट वितरण में हो रही विसंगतियों को लेकर पार्टी के नेताओं द्वारा लगाए गए आरोपों के बीच।
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