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Up kiran,Digital Desk : जय श्री राम! आज का दिन, यानी 25 नवंबर 2025, मंगलवार... यह तारीख अब हमेशा के लिए सुनहरे अक्षरों में लिख दी जाएगी। अयोध्या में सरयू के तट पर बना वो सपना, जिसे करोड़ों आंखों ने देखा था, आज पूरी तरह से सच होकर हमारे सामने खड़ा है। 5 साल की कड़ी मेहनत, दिन-रात की जागी हुई आंखों और लगभग 1400 करोड़ रुपये की लागत के बाद, प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर आज पूर्णता (Complete) को प्राप्त हो चुका है।

और इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या आ रहे हैं। वे आज मंदिर के सबसे ऊंचे शिखर पर केसरिया धर्म ध्वज फहराएंगे। यह ध्वज सिर्फ एक कपड़ा नहीं, बल्कि हमारे धैर्य और संघर्ष की जीत का निशान है।

आसान नहीं थी पत्थरों को जोड़ने की यह यात्रा

हम आज मंदिर की भव्यता देखकर मोहित हो रहे हैं, लेकिन इसकी नींव रखने का सफर कांटों भरा था। याद कीजिए 5 अगस्त 2020 का वो दिन, जब पीएम मोदी ने ही भूमि पूजन किया था। उस दिन से लेकर आज तक, अयोध्या में एक दिन भी हथौड़े और छेनी की आवाज नहीं रुकी।

मुश्किलें क्या नहीं आईं? कभी भारी बारिश ने रास्ता रोका, कभी कड़ाके की ठंड ने परीक्षा ली। और तो और, जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी के डर से घरों में बंद थी, तब भी रामकाज नहीं रुका। मास्क लगाए, नियमों का पालन करते हुए मजदूर और कारीगर अपनी धुन में लगे रहे। उनके इसी जज्बे का नतीजा आज हमारे सामने है।

जब इंजीनियरों की सांसे अटक गई थीं

एक वक्त ऐसा भी आया था जब बड़े-बड़े वैज्ञानिकों के माथे पर पसीना आ गया था। शुरुआत में जब मंदिर की नींव के लिए टेस्ट पाइलिंग (खंभों की टेस्टिंग) की गई, तो वो फेल हो गई। इंजीनियरों ने जब भूकंप जैसे झटके देकर देखा, तो खंभों में दरारें आ गईं। सोचिए, उस वक्त क्या गुजरी होगी सब पर!

पूरी डिजाइन फिर से बनाई गई। इसमें 6 महीने बर्बाद हुए। फिर तय हुआ कि लोहे और स्टील का इस्तेमाल नहीं होगा, क्योंकि इनमें जंग लग जाता है। तब आईआईटी (IIT) चेन्नई, मुंबई, रुड़की और यहां तक कि इसरो (ISRO) के वैज्ञानिकों ने दिमाग लगाया और 'रोलर कंपैक्ट कंक्रीट' (आरसीसी) की नई तकनीक से ऐसी नींव बनाई, जो हजारों सालों तक हिलेगी भी नहीं। इसे कहते हैं विज्ञान और आस्था का संगम!

मंदिर नहीं, यह कला का महाकाव्य है

यह मंदिर 'नागर शैली' में बना है, जो भारतीय वास्तुकला की शान है। जरा इसके आकार पर गौर करें:

  1. लंबाई: 360 फीट
  2. ऊंचाई: 161 फीट (कुतुब मीनार से भी भव्य!)
  3. खासियत: इसमें कुल 392 खंभे हैं और हर खंभे पर देवी-देवताओं की इतनी बारीक नक्काशी है कि आप देखते रह जाएंगे।

4,000 से ज्यादा मजदूर, शिल्पकार और इंजीनियरों ने इसे अपने पसीने से सींचा है। खुदाई में जो पुरानी मूर्तियां और अवशेष मिले, उन्हें भी सहेज कर रखा गया है।

राम मंदिर के वो पड़ाव, जो हम कभी नहीं भूलेंगे

आइए, एक नजर डालते हैं इस ऐतिहासिक सफर पर:

  1. 9 नवंबर 2019: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आया।
  2. 25 मार्च 2020: रामलला टेंट से निकलकर अस्थायी मंदिर में आए।
  3. 5 अगस्त 2020: भूमि पूजन हुआ और नींव पड़ी।
  4. 22 जनवरी 2024: प्राण प्रतिष्ठा हुई और रामलला अपने घर में विराजे।
  5. आज, 25 नवंबर 2025: शिखर पर ध्वज लहराएगा और मंदिर पूरा होगा।

आज जब आप उस केसरिया ध्वज को हवा में लहराते हुए देखेंगे, तो याद रखिएगा कि यह सिर्फ एक झंडा नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की उम्मीद और विश्वास की उड़ान है। अयोध्या सज चुकी है, रामकाज पूरा हुआ!