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धर्म डेस्क। सनातन मत में पर्वों और व्रतों का विशेष महत्व है। कार्तिक मास में तो हर दिन कोई न कोई ख़ास व्रत या पर्व होता है। दीपावली से पहले रमा एकादशी व्रत है। शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को करने से भगवान विष्‍णु और मां लक्ष्‍मी प्रसन्‍न होकर जातक पर अपनी कृपा बरसाती हैं। जहां भगवान विष्‍णु की कृपा होती है, वहां मां लक्ष्‍मी का वास होता हैं। इसलिए श्रीहरि को प्रसन्‍न करने के लिए दीपावली से पहले कार्तिक माह की पहली एकादशी का व्रत अवश्य करें।

उल्लेखनीय है कि सृष्टिकर्ता और जगत के पालनहार भगवान विष्णु को एकादशी तिथि और गुरुवार का दिन समर्पित है। अर्थात भगवान विष्‍णु की कृपा पाने के लिए एकादशी व्रत और गुरुवार का व्रत करना आवश्यक है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल रमा एकादशी तिथि 27 अक्टूबर को प्रातः  05 बजकर 23 मिनट पर प्रारंभ हो रही है, जो कि 28 अक्टूबर को प्रातः 07 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए रमा एकादशी व्रत 27 अक्टूबर को किया जाएगा। व्रत का पारण समय 28 अक्टूबर को प्रातः 06 बजकर 31 मिनट से लेकर 08 बजकर 44 मिनट तक है।

शास्त्रों के अनुसार रमा एकादशी का व्रत करने और इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा करने से जातक के समस्त पाप पापों का शमन हो जाता है। जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। पूरे साल धन का आगमन होता रहता है। इसके साथ ही जीवन में आने वाली सभी तरह की समस्याएं छूमंतर हो जाती हैं। परिवार के सभी सदस्य सफलता के मार्ग पर चलते हैं।

ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार रमा एकादशी के दिन जरूरतमंदों को अन्न दान, पीले फल का दान, सरसों के तेल का दान और कंबल दान करना बेहद शुभ होता है। इसके साथ ही रमा एकादशी के दिन बच्चों को पढ़ने और लिखने की सामग्रियों का दान अवश्य करना चाहिए। इससे माता लक्ष्मी के साथ-साथ माता सरस्वती भी बेहद प्रसन्न होती हैं और जातक का परिवार उन्नति के शिखर पर पहुंचता है। 

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