
Ramadan 2025: मुस्लिम धर्म में रोजा (व्रत) एक धार्मिक परंपरा है। दुनिया भर के मुस्लिम हर साल पवित्र महीने रमजान में रोजा यानि व्रत रखते है। ये उपवास सिर्फ भूखे और प्यासे रहने के लिए नहीं बल्कि सेल्फ कंट्रोल, सहानुभूति और ईश्वर (अल्लाह) के प्रति समर्पण का प्रतीक माना जाता है।
इस्लाम में रोजे का मकसद सिर्फ शारीरिक कठिनाई सहना नहीं है बल्कि यह आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का जरिया है। पवित्र कुरान के मुताबिक, रोजा इंसान को सेल्फ कंट्रोल और अल्लाह की इबादत की ओर ले जाता है। इस्लामिक मान्यता के मुताबिक, रोजा रखने से व्यक्ति के पाप क्षमा होते हैं, आत्मा शुद्ध होती है और अल्लाह का करीब आने का मौका मिलता है।
रोजा रखना हर मुस्लिम पर फर्ज है। सिर्फ छोटे बच्चे, पागल और बीमार लोगों को छोड़कर। रमजान इस्लामी कैलेंडर का सबसे खास महीना है, क्योंकि इसी महीने में पवित्र कुरान का अवतरण हुआ था। इस महीने में किए गए अच्छे कर्मों का सौ गुना ज्यादा फल मिलता है और इस माह में सबसे ज्यादा चांस होते हैं दुआ की कुबूलियत के।
बता दें कि रोजा सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक रखा जाता है। इस दौरान कुछ भी खाना-पीना, धूम्रपान करना, झूठ बोलना, गुस्सा करना और बुरी आदतों से दूर रहने को कहा जाता है।
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