Ratan Tata death: पारसी समुदाय के लोग मृतकों के शरीर को एक विशेष स्थान पर, जिसे "डाकमा" कहा जाता है, ले जाते हैं। यह एक खुला स्थान होता है, जिसे आमतौर पर पहाड़ी पर बनाया जाता है। यहाँ पर शव को रखा जाता है ताकि प्राकृतिक तत्व जैसे कि पक्षी और अन्य जानवर इसे खा सकें। यह प्रक्रिया पारसी विश्वास के अनुसार शरीर को जल्दी से नष्ट करने और पृथ्वी के लिए अपमान ना करने के लिए होती है।
ये प्रथा अभी भी पारंपरिक पारसियों द्वारा अपनाई जाती है, मगर कुछ परिवार अब व्यावहारिक और पर्यावरणीय चुनौतियों के कारण दाह संस्कार का विकल्प चुनते हैं।
रतन टाटा पारसी थे, फिर भी उनका अंतिम संस्कार पारसी नियमों के मुताबिक नहीं होगा।
बता दें कि टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा के निधन से पूरा देश शोक में है। रतन टाटा सिर्फ एक व्यवसायी ही नहीं बल्कि एक महान व्यक्तित्व थे। रतन टाटा पिछले कुछ दिनों से बीमार थे। उनका मुंबई के मशहूर ब्रीच कैंडी अस्पताल में इलाज चल रहा था। रतन टाटा लो ब्लड प्रेशर से पीड़ित थे।
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