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Up Kiran, Digital Desk: आज के फैशन-प्रेमी दौर में हर कोई स्टाइलिश दिखना चाहता है, और इस चाहत में सबसे पहले बदलाव आता है हेयर स्टाइल में। बालों को रंगना यानी हेयर कलरिंग अब सिर्फ ट्रेंड नहीं, बल्कि पर्सनैलिटी एक्सप्रेशन का हिस्सा बन चुका है। खासकर युवा वर्ग इस चलन को तेजी से अपनाता जा रहा है। लेकिन क्या इस खूबसूरती की चाहत में हम अपने बालों की जड़ों को खोखला तो नहीं कर रहे?

ट्रेंडी दिखने की चाहत बन सकती है डैंड्रफ की वजह

लगातार हेयर कलरिंग से स्कैल्प की प्राकृतिक नमी खत्म हो जाती है। इसके कारण स्कैल्प सूखने लगता है और रूसी (डैंड्रफ) की समस्या आम हो जाती है। खासकर मानसून के मौसम में जब हवा में नमी और उमस बढ़ जाती है, तब यह परेशानी और भी बढ़ जाती है। सिर में लगातार खुजली होना, कंधों पर सफेद परतें गिरना और हेयर स्टाइल बिगड़ना आम लक्षण हैं। इससे सामाजिक असहजता भी महसूस हो सकती है।

बालों का झड़ना बन सकता है बड़ी परेशानी

अगर हेयर कलरिंग बिना अंतराल के की जाए तो बालों की जड़ें कमजोर होने लगती हैं। हेयर डाई में मौजूद रसायन बालों की प्राकृतिक परत को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे बाल झड़ने लगते हैं। इसके अलावा, स्कैल्प की त्वचा पर एलर्जी, जलन और डर्माटाइटिस जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं, जो बालों की ग्रोथ को रोक देती हैं।

खुजली और एलर्जी की संभावना

जिन लोगों की स्कैल्प पहले से ही संवेदनशील होती है, उन्हें हेयर कलर के बाद खुजली की शिकायत होने लगती है। समय रहते इसे न रोका जाए तो यह एलर्जी में बदल सकती है, जिससे जलन और लाल चकत्ते तक हो सकते हैं। यदि कलर करने के बाद हल्की भी खुजली महसूस हो तो अगली बार हेयर डाई लगाने से बचना बेहतर होगा।

रसायनों से बालों की चमक हो सकती है फीकी

बाजार में मिलने वाले अधिकांश हेयर कलर में अमोनिया जैसे केमिकल पाए जाते हैं, जो बालों की नमी चूस लेते हैं। इसका असर यह होता है कि बाल धीरे-धीरे अपनी चमक खो बैठते हैं और रूखे, बेजान दिखने लगते हैं। यहां तक कि इनमें कोई भी पोषण देने वाली चीज़ असर नहीं कर पाती। महिलाओं में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है, खासकर जिनके बाल लंबे होते हैं।