Up Kiran, Digital Desk: हाल के दिनों में संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब जैसे देशों में बसे भारतीय प्रवासी बड़ी मात्रा में धन भारत भेज रहे हैं। इस ट्रेंड के पीछे एक मुख्य कारण है भारतीय मुद्रा का कमजोर होना, जिससे विदेशी मुद्रा की तुलना में अब भारतीय रुपये की कीमत कम हो गई है।
विशेष रूप से यूएई की करेंसी दिरहम की बात करें तो वर्तमान में एक दिरहम की कीमत लगभग 23.5 रुपये तक पहुंच गई है, जो अप्रैल की शुरुआत के बाद सबसे निचला स्तर माना जा रहा है। इसी बदलाव ने भारतीय प्रवासियों को अपने देश में पैसे भेजने के लिए प्रेरित किया है, क्योंकि उन्हें अब एक ही रकम में पहले से अधिक रुपये मिल रहे हैं।
धन प्रेषण में तेजी
गुरुवार, 19 जून से ही यह देखा गया कि यूएई में दिरहम से भारतीय रुपये में रूपांतरण की प्रक्रिया में तेजी आई है। मुद्रा विनिमय केंद्रों से जुड़े विशेषज्ञों के अनुसार, वहां रहने वाले भारतीय अब रुपये की कीमत में और गिरावट का इंतजार नहीं कर रहे। जिनके पास कुछ भी अतिरिक्त धन है, वे तुरंत उसका लाभ उठाते हुए भारत भेज रहे हैं।
एक प्रमुख एक्सचेंज हाउस के अधिकारी ने बताया कि बीते गुरुवार का दिन हाल के कई हफ्तों में सबसे अधिक लेनदेन वाला रहा, जब बड़ी संख्या में भारतीयों ने भारत पैसा ट्रांसफर किया। यहां तक कि जब दिरहम के मुकाबले रुपया थोड़ा मजबूत होकर 23.46 पर पहुंचा, तब भी लोगों की रुचि बनी रही।
गर्मी की छुट्टियों में बदला ट्रेंड
जून का महीना सामान्यतः यात्रा और निजी खर्चों की वजह से धन प्रेषण में गिरावट लेकर आता है। मगर इस वर्ष रुपये की लगातार गिरती स्थिति ने इस पैटर्न को तोड़ दिया है। वीकेंड के दौरान भी पैसे भेजने की रफ्तार बनी रही, और अधिकारियों को उम्मीद है कि सोमवार तक यह स्थिरता कायम रहेगी।
यदि जुलाई में भी रुपये की स्थिति ऐसी ही रहती है या और नीचे जाती है, तो एनआरआई और अधिक लाभ में रहेंगे। एक विशेषज्ञ ने कहा कि यदि मौजूदा दरें बरकरार रहती हैं या और गिरती हैं, तो इसका दोहरा फायदा मिलेगा – भेजने वालों के लिए अधिक रुपये और भारत में बेहतर खरीदारी शक्ति।
भू-राजनीतिक तनाव के बावजूद प्रवासी सक्रिय
हालाँकि वैश्विक स्तर पर इजरायल और ईरान के बीच तनाव जैसी स्थितियाँ अनिश्चितता को बढ़ा रही हैं, फिर भी इस बार डॉलर की बजाय सोना निवेशकों की पहली पसंद बना है। इसका असर यह हुआ कि अमेरिकी डॉलर अपेक्षाकृत कमजोर रहा और भारतीय रुपये को कुछ राहत मिली।
मगर कुल मिलाकर, भारतीय मुद्रा में गिरावट प्रवासी भारतीयों के लिए अवसर लेकर आई है। कम विदेशी मुद्रा में अधिक भारतीय रुपये मिलने का फायदा वे उठाने में पीछे नहीं हैं।
भले ही अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में हालात अस्थिर हों, मगर एनआरआई लगातार भारत में पैसे भेज रहे हैं और इसे अपने परिवारों के लिए फायदे का सौदा मान रहे हैं।
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