Up Kiran, Digital Desk: अदालत से जुड़े मामलों में हमेशा कोई न कोई नई खबर आती रहती है, और इस बार भी दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने एक अहम फैसला सुनाया है. एक वकील को अपनी गिरफ्तारी के लिए आत्मसमर्पण करने को लेकर जो समय सीमा दी गई थी, उसे हाईकोर्ट ने बढ़ा दिया है. यह उस वकील के लिए थोड़ी राहत की बात है, जिसे एक दुष्कर्म के मामले में अपनी अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) रद्द होने के बाद निचली अदालत के सामने पेश होना था.
दरअसल, जस्टिस अमित महाजन की पीठ ने पहले आरोपी 51 वर्षीय वकील को 7 नवंबर को एक सप्ताह के भीतर ट्रायल कोर्ट (Trial Court) में आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था, क्योंकि उनकी अग्रिम जमानत रद्द कर दी गई थी. हालांकि, वकील ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जमानत रद्द करने के आदेश के खिलाफ अपील दायर की है और इसे सूचीबद्ध करने के लिए आग्रह करने वाले हैं.इसी बात को ध्यान में रखते हुए, हाईकोर्ट ने वकील को आत्मसमर्पण करने के लिए 17 नवंबर तक का और समय दे दिया है.
अदालत ने इस दौरान एक महत्वपूर्ण शर्त भी रखी है. पीठ ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि आरोपी को महिला वकील (शिकायतकर्ता) से किसी भी तरह का संपर्क नहीं करना है. यदि वह ऐसा करता है, तो दिल्ली पुलिस (Delhi Police) को उसके खिलाफ उचित कार्रवाई करने की पूरी स्वतंत्रता होगी.
यह मामला सिर्फ आरोपी वकील तक सीमित नहीं है, बल्कि इस केस में कुछ न्यायिक अधिकारियों की कथित संलिप्तता भी सामने आई है दिल्ली हाईकोर्ट ने इस पर चिंता जताते हुए दो न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ भी प्रशासनिक जांच (Administrative Inquiry) के आदेश दिए हैं.इन अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने महिला वकील पर अपने आरोप वापस लेने का दबाव डाला था. हाईकोर्ट ने इस तरह के गंभीर मामले में न्यायिक अधिकारियों की कथित संलिप्तता को "चौंकाने वाला" बताया है और इसे गंभीरता से लिया है.

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